आज इस लेख में मुद्रा क्या है मुद्रा को अच्छी तरीका से परिभाषित किया गया है जिससे किसी भी प्रकार की जानकारी मुद्रा से संबंधित आपके मन में उठ रहे कोई भी सवाल छूट न जाए इसे देखते हुए इस लेख को पूरी तरह से बनाया गया है तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं,

आज के युग में मुद्रा की भूमिका काफी बढ़ गई है आज का समस्त आर्थिक ढांचा मुद्रा पर ही निर्भर है मुद्रा को हटा देने पर संभवत आर्थिक व्यवस्था लड़खड़ा सकती है वर्तमान युग में उत्पादन उपभोग विनिमय विवरण इत्यादि से संबंधित क्रियाएं मुद्रा के द्वारा ही प्रभावित होती है इस तरह मुद्रा हमारे जीवन का एक आवश्यक अंग बन गया है आधुनिक समाज को मुद्रा से अनेक लाभ प्राप्त है ,

और इस मुद्रा की उपयोगिता बहुत अधिक है प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मार्शल ने कहा था आधुनिक युग की प्रगति का श्रेय मुद्रा को ही जाता है ठीक उसी प्रकार ट्रैशकॉट  के अनुसार यदि मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था का हृदय नहीं है तो रक्त प्रवाह अवश्य है इस तरह मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था की जीवन शक्ति है आधुनिक युग में मुद्रा को जीवन जीने का सबसे अहम अंग माना जाता है इसके बिना कोई भी व्यक्ति किसी योग्य नहीं है मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था को जांचने समझने मैं पूरी तरह भूमिका निभाती है तो चलिए जानते हैं कि मुद्रा के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बातें कौन-कौन है।

मुद्रा है क्या ? what is mudra in hindi 


Mudra kya hai   मुद्रा पर निबंध

व्यावहारिक जीवन के हर क्षण में हमें मुद्रा का उपयोग करना पड़ता है मुद्रा कहने से सामान्यतः सभी व्यक्ति समझने लगते हैं कि धातु अथवा कागज का बना हुआ वस्तु जो हमारी दिनचर्या में आए उपलब्ध कराता है या वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान में सुविधा उपलब्ध कराता है मुद्रा के अर्थ को समझने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन के उन कार्यों को देखना होगा जिसका संपादन हम देश अथवा विदेश में वस्तुओं और सेवाओं के क्रय विक्रय के माध्यम के रूप में करते हैं ,

मुद्रा के विकास को देखने के क्रम में हमने देखा की सभ्यता के प्रारंभिक अवस्था में बसतू जैसे बकरी गाय गेहूं चमड़ा आदि का उपयोग विनिमय के माध्यम के रूप में होता था बाद में चमड़ा पत्थर कौड़ी सोना एवं चांदी तथा कागज के बने मुद्रा का उपयोग होने लगा आजकल तो अधिकतर भुगतान पत्र मुद्रा का चेक के द्वारा होता है । साधारण बोलचाल की भाषा में मुद्रा का अर्थ धातु के बने सिक्के से समझा जाता है मुद्रा शब्द का उपयोग मोहर या चिन्ह के अर्थ में भी समझा जाता है। 

यही कारण है कि जिस वस्तु पर सरकारी चिन्ह या मुहर लगाया जाता था उसे मुद्रा कहा जाता था अर्थशास्त्र में मुद्रा की अनेक परिभाषा दी गई है कुछ परिभाषाएं संकुचित है तो कुछ विस्तृत है तथा कुछ परिभाषाएं अन्य बातों पर आधारित है होटल एबिड्स के अनुसार मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है,

 कॉल बॉर्न के अनुसार मुद्रा वह है मुद्रा वह हैै जो मूली का मापक और भुगतान कााा साधन हैै । निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि सामान्यय स्वीकृति विधि एवं स्वतंत्र रूप से प्रचलित कोई भी वस्तु जो विनिमय के माध्यम मूली के सामान्य मापक ऋण के भुगतान का मापदंड तथा संचय के साधन के रूप में कार्य करती में मुद्रा कहलाती है 

मुद्रा का इतिहास 

आर्थिक तथा व्यवसायिक क्षेत्र में मुद्रा का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है या आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है सच पूछा जाए तो मुद्रा के विकास का इतिहास मानव सभ्यता के विकास का इतिहास का जाता है सभ्यता के प्रारंभिक अवस्था में जब मनुष्य की आवश्यकताएं और सीमित थी तब वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति अपने आप के उत्पादन से कर लिया करता था,

 लेकिन लोगों की संख्या में वृद्धि के साथ उनकी आवश्यकताओं में भी वृद्धि होने लगी अब स्वयं के उत्पादन से मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति होने में कठिनाई महसूस की जाने लगी अब वह आपस में एक दूसरे के द्वारा उत्पादित की हुई चीजें अथवा वस्तु कलाम प्रधान से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने लगा अधिकांश आवश्यकता की पूर्ति के लिए आज दूसरे व्यक्तियों पर निर्भर होना पड़ता है ,

आज प्रत्येक मनुष्य किसी एक कार्य में ही अपना समय लगाता है इससे जो आए प्राप्त होता है उसे अन्य वस्तुएं प्राप्त कर लेता है आज विनिमय का महत्व काफी अधिक बढ़ गया है विनिमय के दो रूप हैं वस्तु विनिमय प्रणाली एवं विनिमय प्रणाली 

मुद्रा के कार्य 


Mudra kya hai   मुद्रा पर निबंध


आधुनिक समय में मुद्रा बहुत से कार्य को संपन्न करती है तथा उनके कार्यों में क्रम से वृद्धि होती जा रही है सदारण मुद्रा के निम्न चार कार्यों को अत्यधिक महत्वपूर्ण दिया जाता है पहला नंबर विनिमय का साधन दूसरा मूली का मापक तीसरा विलंबित भुगतान का समय चौथा मूल्य का संचय मुद्रा के इन चार कार्यों को पराया एक कविता के रूप में व्यक्त किया जाता है 

 मुद्रा के हैं चार कार्य महान, 

मापन, माध्यम ,संचय ,भुगतान 

लेकिन आजकल वैज्ञानिकों द्वारा मुद्रा के और भी बहुत से कार्य बतलाए गए हैं मुद्रा के कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार है

1 विनिमय का माध्यम  

 मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है क्रय विक्रय दोनों में ही मुद्रा मध्यस्थ का कार्य करती है मुद्रा के अविष्कार के कारण अब आवश्यकताओं के दौरे सहयोग के अभाव की कठिनाइयां उत्पन्न नहीं होती हत्या वस्तु या सेवा को बेचकर प्राप्त मुद्रा की जाती है तथा मुद्रा से अपनी जरूरत की अन्य वस्तुएं खरीदी जाती है सुखी मुद्रा विधि ग्राह्य भी होती है इस कारण इसे स्वीकार करने में कोई कठिनाई उत्पन्न नहीं होती है मुद्रा के द्वारा किसी भी समय विनिमय किया जा सकता है

2 मूल्य का मापक

 मुद्रा मूल्य का मापक है मुद्रा के द्वारा वस्तुओं का मूल्यांकन करना सरल हो गया है वस्तु विनिमय प्रणाली में कठिनाइयां जाति की वस्तुओं का सही तौर पर मूल्यांकन नहीं हो पाता था मुद्रा की इन कठिनाइयों को दूर कर दिया गया है किसी वस्तु का कितना मूल्य होगा मुद्रा द्वारा या पता लगाना सरल हो गया है क्योंकि प्रत्येक वस्तु को मापने के लिए एक मापदंड होता है वस्तुओं का मूल्य मापने का मापदंड मुद्रा ही है।

3 विलंबित भुगतान का मान

 आधुनिक युग में बहुत से आर्थिक कार्य उधार पर होता है और उसका भुगतान बाद में किया जाता है दूसरे शब्दों में भुगतान विलंबित या स्थगित होता है मुद्रा विलंबित भुगतान का एक सरल साधन है इसके द्वारा ऋण के भुगतान करने में भी काफी सुविधा हो गई है इस तरह मुद्रा के रूप में ऋण के भुगतान तथा विलंबित भुगतान की सुविधा हो गई है क्योंकि साख अथवा उधार आधुनिक व्यवस्था की रीढ़ है मुद्रा ने उधार देने तथा लेने के कार्य को काफी सरल बना दिया।

4 मूल्य का संचय

 मनुष्य भविष्य के लिए कुछ बचा कर रखना चाहता है बर्तमान  आवश्यकताओं के साथ ही साथ भविष्य की आवश्यकता भी महत्वपूर्ण है इस कारण या जरूरी है कि भविष्य के लिए कुछ बचा कर के रखा जाए मुद्रा में यह गुण और विशेषता है की इसे संचित या जमा करके रखी जा सकती है वस्तु विनिमय प्रणाली में सन चेक करके रखने की कठिनाई थी बस तू केसर गर्ल जाने या नष्ट हो जाने का डर बना रहता था लेकिन मुद्रा ने इस कठिनाई को दूर कर दी मुद्रा को हम बहुत दिनों तक संचित करके रख सकते हैं लंबी अवधि तक संचित करके रखने पर भी मुद्रा खराब नहीं होती है

5 शक्ति का हस्तांतरण

 मुद्रा का एक आवश्यक कार्य क्रय शक्ति का स्थानांतरण भी है आर्थिक विकास के साथ-साथ विनिमय के क्षेत्र में भी विस्तार होता चला गया है वस्तुओं का क्रय विक्रय अब दूर दूर तक होने लगा है इस कारण करें शक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान को हस्तांतरित करने की जरूरत महसूस की गई चुकी मुद्रा में सामान्य स्वीकृति का गुण विद्वान या तक कोई भी व्यक्ति किसी भी एक स्थान पर अपनी संपत्ति बेचकर किसी अन्य स्थान पर नई संपत्ति खरीद सकता है इसके अलावा मुद्रा के रूप में धन का लेनदेन होता है अतः मद्रा के माध्यम से क्रय विक्रय को एक स्थान से दूसरे स्थान तक हस्तांतरित किया जा सकता है।

6 साख का आधार

 वर्तमान समय में मुद्रा साख के आधार पर कार्य करती है मुद्रा के कारण ही साथ पत्रों का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता है बिना मुद्रा के साथ पत्र जैसे ड्राफ्ट हुंडी चेक आदि प्रचलन में नहीं रह सकता है जब बैंक में उसका खाता में पर्याप्त मुद हो व्यापारिक बैंक भी साख का श्रीजन नगद गैस कोश के आधार पर ही कर सकती है यदि नकद मुद्रा का कोश अधिक है तो अधिक साख का निर्माण हो सकता है नकद मुद्रा के कोश में कमी होने से सा की मात्रा भी कम हो जाती है। इस तरह मुद्रा साख का आधार कहलाता है।

मुद्रा का विकास 

मुद्रा का विकास निम्नलिखित तरीके से धीरे धीरे आधुनिक जीवन को सरल बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है जो इस प्रकार है।

1 वस्तु विनिमय    

इसमें वस्तुओं का लेनदेन होता है जब प्राचीन काल में मुद्रा का अविष्कार नहीं हुआ था तो लोग एक वस्तु लेकर दूसरे वस्तु को देना पढ़ता था इसे ही वस्तु विनिमय कहा जाता है। 

2 वस्तु मुद्रा  

 प्रारंभिक काल में किसी एक वस्तु को मुद्रा के कार्य संपन्न करने के लिए चुन  लिया गया था शिकारी युग में खाल या  चमड़ा पशुपालन योग में कोई पशु जैसे  गाय या  बकरी तथा कृषि  युग में कोई अनाज जैसे कपास गेहूं आदि को मुद्रा का कार्य संपन्न करने के लिए चुना गया तथा इन्हें मुद्रा के रूप में प्रयोग किया गया।

3 धातविक मुद्रा

 वस्तु मुद्रा द्वारा विनिमय करने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था अब धातुओं का प्रयोग मुद्रा के रूप में होने लगा मुद्रा जो पीतल और तांबे के आगे धातु से बना होता है उसे धातु मुद्रा कहा जाता है।

4 सिक्के

 धातु मुद्रा के प्रयोग में धीरे-धीरे कुछ कठिनाइयां आगे आने लगी इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए सिक्के का प्रयोग किया जाने लगा सोने चांदी आदि से बना हुआ वस्तु जो देश की सर्व धर्म सरकार की मुहर से चालित होता है उसे सिक्का कहते है ।


5 पत्र मुद्रा

सिक्का मुद्रा में भी कुछ दोस थे इनको  एक  स्थान से दूसरा स्थान ले जाने में कठिनाई होती थी पत्र मुद्रा का प्रचलन हुआ वर्तमान समय में विश्व के सभी देशों में पत्र मुद्रा का ही प्रचलन है देश की सरकार तथा देश के केंद्रीय बैंक के द्वारा जो कागज का नोट पर चलित किया जाता है उसे पत्र मुद्रा कहा जाता है यह कागज का बना होता है इसलिए से कागज मुद्रा भी कहा जाता है । भारत में ₹1 के कागज की नोट तथा सभी से किया है केंद्र सरकार के वित्त विभाग द्वारा चलाया जाता है ₹2 तथा इससे अधिक के सभी नोट केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा चलाया जाता है। 

6 साख मुद्रा

अति विकास के साथ साख मुद्रा का भी उपयोग होने लगा आधुनिक समय में चेक ड्राफ्ट आदि विभिन्न प्रकार के साख मुद्रा का कार्य करते हैं इसको साख मुद्रा कहा जाता है अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन आंशिक रूप से साख मुद्रा द्वारा होता है देश के आंतरिक व्यापार में भी धातु या पत्र मुद्रा की अपेक्षा चेक ड्राफ्ट आदि साख पत्रों का अधिक उपयोग किया जाता है। 

7 प्लास्टिक मुद्रा    

Mudra kya hai   मुद्रा पर निबंध

1 एटीएम (डेबिट कार्ड)   

आर्थिक विकास के इस दौर में बैंकिंग संस्थाओं के द्वारा प्लास्टिक के एक टुकड़े को भी मुद्रा के रूप में उपयोग किया जाता है प्लास्टिक के मुद्रा का रूप एटीएम है एटीएम का अर्थ ऑटोमेटिक टेलर मशीन होता है या मशीन 24 घंटे रुपए निकालने तथा जमा करने में पूरी तरह से सक्षम है। भारत में सभी बड़े बड़े व्यवसायिक बैंक के द्वारा या सुविधा अपने ग्राहक को उपलब्ध कराई जाती है।

2 क्रेडिट कार्ड      

क्रेडिट कार्ड भी प्लास्टिक मुद्रा का ही रूप है। विश्व में प्रचलित क्रेडिट कार्ड में विजा मास्टरकार्ड अमेरिकन एक्सप्रेस आदि प्रसिद्ध है क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत ग्राहक की वित्तीय स्थिति को देखते हुए बैंक इसकी साख क एक राशि निर्धारित करती है जिसके अंतर्गत अपने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से निर्धारित धनराशि के अंदर वस्तुओं और सेवाओं को खरीद सकता है।

मुद्रा का आर्थिक महत्व क्या क्या है ।

आधुनिक आर्थिक व्यवस्था में मुद्रा का काफी महत्व है यदि मुद्रा को वर्तमान समाज से हटा दिया जाए तो हमारी सारी आर्थिक व्यवस्था अस्त व्यस्त हो जाएगी यदि मुद्रा ना होती तो विश्व के विभिन्न देशों में इतनी आर्थिक प्रगति कभी भी संभव नहीं होती,

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था या समाजवादी अर्थव्यवस्था या मिश्रित अर्थव्यवस्था सभी में मुद्रा आर्थिक विकास के मार्ग में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है मुद्रा के आर्थिक महत्व के बारे में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एस्कॉर्ट ने कहा है मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था का हृदय नहीं है रक्त स्रोत अवश्य है आज का आर्थिक जगत मुद्रा के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता इसलिए प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर ,

मार्शल ने कहा है की मुद्रा वाह धूरी है जिसके चारों तरफ संपूर्ण आर्थिक विज्ञान चक्कर काटता है वास्तव में मुद्रा मानव का एक महत्वपूर्ण आविष्कार है इन्हें इस प्रकार स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।

                                                             मुद्रा !     मुद्रा  !   मुद्रा !

                                                    सूर्य प्रकाश से भी अधिक चमकीला !

                                                             मधु से भी अधिक मीठा !

आत: स्पष्ट है कि आधुनिक जीवन प्रत्येक दिशा में मुद्रा के द्वारा प्रभावित होता है कि पिंगू का  कहना है कि आधुनिक विश्व में उद्योग मुद्रा रूपी वस्त्र धारण किए हैं 


मुद्रा से क्या क्या लाभ मिलता है । 

मुद्रा हमारे लिए काफी लाभदायक है मुद्रा से पूरे मानव समाज को लाभ पहुंचता है अर्थशास्त्र की सभी शाखाएं जैसे उपभोग उत्पादन विनिमय वितरण तथा राजस्व में मुद्रा का महत्वपूर्ण स्थान है मुद्रा के कुछ प्रमुख लाभ नीचे लिखे शब्दों में उल्लेखित है।

1 मुद्रा से उपभोक्ता को लाभ

 मुद्रा के अविष्कार से उपभोक्ता को बहुत लाभ हुआ है प्रत्येक उपभोक्ता मुद्रा से अपनी इच्छा अनुसार वस्तुओं को खरीद सकता है यह सुविधा विनिमय प्रणाली में नहीं था मुद्रा उपभोक्ता की मांग का आधार है जिस व्यक्ति के पास मुद्रा अधिक है वह वस्तुओं और सेवाओं की मांग को अधिक खरीद सकता है । 

2 मुद्रा से उत्पादक को लाभ

 उत्पादक को मुद्रा से अधिक लाभ हुआ है मुद्रा की सहायता से उन्हें उत्पादक के साधनों की आवश्यक मात्रा जुटाने कच्चे माल को खरीदने हैं तथा संचित रखने तथा समय-समय पर पूंजी की आधार प्राप्त करने में सहायता मिलती है उत्पादन लागत कितनी होगी वस्तु का संभावित मूल्य क्या होगा एवं लाभ की मात्रा क्या होगी बिना मुद्रा के सारे मूल्यांकन करना असंभव है।

3 मुद्रा और साख

 मुद्रा ने साख प्रणाली को संभव बनाया है आधुनिक व्यवसाय का सारा ढांचा साख पर आधारित है बैंक लोगों की छोटी छोटी बच्चों को इकट्ठा कर लेते हैं तथा उद्योगों को व मुद्रा उधार पर दे देता है इस प्रकार साख को समझा जा सकता है। 

4 वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों का निराकरण  

मुद्रा के अविष्कार से वस्तु विनिमय प्रणाली की सारी कठिनाइयां दूर हो गई है अब मुद्रा के कारण विनिमय  आसान हो गया है।

5 मुद्रा और पूंजी की तरलता  

मुद्रा ने पूंजी की तारा लता प्रदान की है क्योंकि इसको प्रत्येक व्यक्ति स्वीकार कर लेता है मुद्रा के रूप में पूंजी को किसी भी उपयोग में लगाया जा सकता है जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है वह किसी भी समय अपनी जरूरत की चीजों को खरीद सकता है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है।

6 मुद्रा और पूंजी की गतिशीलता  

मुद्रा के आविष्कार से पूंजी की गतिशीलता में वृद्धि हुई है अब पूंजी को ना केवल एक ही दिशा में एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजा जा सकता है बल्कि एक देश से दूसरे देश में भी इसका स्थानांतरण किया जा सकता है बैंकों के साथ पत्रों ने तो पूंजी की गतिशीलता में काफी वृद्धि आई है इसके चलते हैं वाणिज्य व्यापार का विकास संभव हो सका है। 

7 मुद्रा और पूंजी का निर्माण

 मुद्रा तरल संपत्ति है इसे बैंक में जमा कर सुरक्षित रखा जा सकता है और ब्याज भी प्राप्त किया जा सकता है किसी उद्योग धंधों में पूंजी विनियोग करके पूंजी निर्माण में अधिक वृद्धि देखी जा सकती हैं । इस तरह मुद्रा पूंजी निर्माण का एक अच्छा साधन है।

8 मुद्रा और बड़े पैमाने के उद्योग

 मुद्रा के होने से आज बड़े बड़े उद्योग स्थापित हो सके हैं तथा बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन संभव हो सका है दुनिया के किसी भी देशों में जाकर कोई भी व्यक्ति बड़े से बड़ा उद्योग धंधा स्थापित कर सकता है ।

9 मुद्रा और आर्थिक प्रगति

 मुद्रा किसी देश की आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण सूचक है इसके बिना किसी भी देश का अर्थव्यवस्था को आकलन करना संभव नहीं है इसलिए मुद्रा आर्थिक प्रगति का सरल और महत्वपूर्ण साधन है।

10 मुद्रा और  सामाजिक कल्याण

मुद्रा द्वारा किसी देश की राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय की माप होती है यदि प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो देश आर्थिक कल्याण की ओर विकासशील होता है मुद्रा द्वारा सामाजिक कल्याण को भी मापा जाता हैै

मुद्रा के उपरोक्त लगभग के अध्ययन से या स्पष्ट हो जाता है कि आर्थिक जीवन में मुद्रा कितना महत्वपूर्ण है यह मजदूर किसान इंजीनियर प्रोफेसर राजनीतिज्ञ तथा समाजशास्त्री से लेकर साधु तक की आवश्यकताएं पूरा करने का सबसे उत्तम साधन है मुद्रा ने आर्थिक जीवन में बहुत सेवा प्रदान की है इसलिए यह कहना उचित लगता है कि मुद्रा एक अच्छा सेवक है।

निष्कर्ष 

मुझे उम्मीद है की मुद्रा पर लेख आपको पसंद आया होगा इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर् करे और अपने दोस्तों को भी मुद्रा के बारे बताने  के लिए मदद करे / किसी भी सहायता के लिए कमेन्ट जरुर करे , हम आपके सेवा मे निरंतर तत्पर है /


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