आज इस पोस्ट में जानेंगे कि DNS क्या है तथा यह कैसे काम करता है इससे जुड़ी सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर आसान शब्दों में आपको इस लेख में मिलेंगे यदि आप नया ब्लॉग बनाकर ऑनलाइन तरीके से पैसे कमाना चाहते हैं तो आप सबसे पहले डोमेन नेम सिस्टम के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर लें जो आपको आगे चलकर बहुत काम आने वाली है इसलिए मेरी आपसे आशा है कि डोमेन नेम सिस्टम के बारे में अधिक से अधिक जानकारी के लिए इस लेख को अवश्य पढ़ेंगे ।


दरअसल आजकल इंटरनेट से घर बैठे काम करके लाखों करोड़ों रुपया कमा रहे हैं यदि आप भी इसी तरह कुछ काम करके यदि पैसा कमाना चाहते हैं तो अवश्य ही ब्लॉगिंग के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें लेकिन इसे स्टार्ट करने से पहले बहुत ऐसे क्वेश्चन है जो आपके मन में प्रतिदिन उत्पन्न होगा चलिए उसी क्वेश्चन का एक भाग डोमेन नेम सिस्टम है जिसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है ,


अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे आज के समय में इंटरनेट के जरिए बहुत से लोग अपने करियर को सुधार रहे हैं चाहे वह किसी भी टॉपिक में हो किसी भी फील्ड में हो यहां पर आपको हर एक प्रकार की प्रश्नों का उत्तर अधिक से अधिक शब्दों में मिल जाएंगे और आप घर बैठे आसानी से लाखों करोड़ों रुपया कमा सकते हैं,


 इसलिए आज डोमेन नेम सिस्टम के बारे में जानकारी इस लेख में मिलेंगे जो बिल्कुल ही आसान शब्दों में अपनी भाषा में मौजूद होगा किसी भी वेबसाइट को स्टार्ट करने से पहले किसी भी प्रकार का डोमेन खरीदना पड़ता है,जिसके कारण आप लोग कोई भी वेबसाइट को इंटरनेट पर एक्सेस भी करते हैं तो चलिए इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं बिना देर किए शुरू करते हैं डोमेन नेम सिस्टम क्या है?



DNS क्या है ? What is domain name system in hindi 


computer


डी एन एस का फुल फॉर्म डोमेन नेम सिस्टम होता है , किसी भी आईपी ऐड्रेस को एक्सेस करने के लिए डोमेन नेम सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है इसके कारण ही किसी भी वेबसाइट का पहचान हो पाता है यह एक ऐसा तकनीक है जो आईपी एड्रेस को डोमेन नेम सिस्टम में ट्रांसलेट कर देता है तथा यह ब्राउज़र को समझने में दिक्कत नहीं होती है कि वह कौन सा इंटरनेट पर वेब पेज एस ढूंढ रहा है,


 इसकी मदद से हम किसी भी वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं यदि इसका इस्तेमाल वेबसाइट में नहीं किया गया है तो इसे पहचान ना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा और उसे खोजना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा, प्रत्येक वेबसाइट का अपना आईपी ऐड्रेस होता है जिओ डोमेन नेम सिस्टम से कोनेक्ट जाता है इससे यह पता चलता है ,


कि इसका वेबसाइट कौन से सर्वर से कनेक्ट किया गया है डोमेन नेम सिस्टम में डोमेन नेम सर्वर स्थापित रहता है जिसे आप जिस प्रकार आप अपने मोबाइल के नंबर को कांटेक्ट लिस्ट में सेव करते हैं और उसमें एक नाम लिखकर उसका नंबर के साथ कनेक्ट करते हैं ठीक उसी प्रकार डोमेन नेम के सरवर में सभी डोमेन नेम सिस्टम और उसके ip-address की जानकारी स्टोर रहता है दुनिया भर में बहुत सारे वेबसाइट मौजूद हैं जिसकी गिनती असंख्य में है,


 लेकिन ठीक इसी प्रकार डोमेन नेम सर्वर भी वेबसाइट के साथ कनेक्टेड रहता है जिसे फाइंड करना बहुत ही आसान होता है तथा यह एक दूसरे के सर्वर से कनेक्ट रहते हैं इसीलिए यह हम लोगों तक आसानी से पहुंचता है , जैसे ही हम किसी वेबसाइट को ओपन करना चाहते हैं तो सबसे पहले डोमेन नेम सर्च करते हैं और यह डोमेन नेम सर्वर के द्वारा कनेक्ट होकर आईपी एड्रेस में कन्वर्ट हो जाता है और फिर आईपी ऐड्रेस से डोमेन नेम सर्वर तक आसानी से पहुंच जाता है फिर आपका वेबसाइट ओपन हो जाता है  । 




DNS का फूल फॉर्म क्या होता है?

DNS का full form :- Domain Name System



DNS का इतिहास  what is DNS history in Hindi 


 डोमेन नेम सिस्टम का आविष्कार 1983 में paul mockapetris के द्वारा (computer वैज्ञानिक ) किया गया था इस तकनीक के आविष्कार होने से वेबसाइट के साथ कुछ ऐसे नाम जोड़ दिया गया जो लोगों को याद रखने में आसानी हो और फिर आज इसका परिणाम आप लोगों के सामने है , पहले के समय में जब लोग इंटरनेट पर आए थे,


 तो किसी भी वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए उसके आईपी एड्रेस को याद रखने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती थी लेकिन जब वेबसाइट ओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली गई तो इसके आईपी एड्रेस कोई याद रखना काफी मुश्किल हो गया,


 क्योंकि सभी लोग इसी आईपी एड्रेस को याद रख कर उसके वेबसाइट में पहुंच पाते थे इसीलिए इसका आविष्कार किया गया इसमें लोगों को अपने वेबसाइट के साथ इंसान के समझने योग्य नाम का आविष्कार किया गया जिसे हम लोग डोमेन नेम कहते हैं और इसको आईपी ऐड्रेस के जैसा याद रखने में कोई मुश्किल काम नहीं है



Domain name system का परिभाषा क्या है ?


Domain name system का प्रमुख कार्य आईपी एड्रेस को किसी भी वेबसाइट के डोमेन नेम को इन भट्ट कन्वर्ट करने के लिए होता है इसके लिए किसी भी वेब ब्राउज़र में हम बस उस डोमेन नेम के साथ वेबसाइट का नाम डाल देते हैं और हमें उसका रिजल्ट शो हो जाता है,


 डी एन एस उस दिया गया इंफॉर्मेशन को ip-address में बदल देता है जो कि उसके सर्वर को कनेक्ट करता है और इसके वजह से पॉइंटेड आईपी ऐड्रेस से उस सर्वर से सारा डाटा लाती है इससे हम किसी भी वेबसाइट के आईपी ऐड्रेस को याद रखने की जरूरत नहीं होती है सिर्फ उसका डोमेन नेम याद रखना काफी आसान हो जाता है?



URL क्या होता है? what is url in hindi


यदि किसी भी वेब ब्राउजर के एड्रेस बार के अंदर जहां पर किसी भी वेबसाइट का एड्रेस लिख कर उस वेबसाइट को ओपन करते हैं तो वह वेबसाइट आसानी से ओपन हो जाता है लेकिन उसका एड्रेस बार पूरा भर जाता है और देखने में काफी लंबा लगने लगता है ,


इसी पूरी लाइन को यानी कि सर्च बार के ऊपर जो पूरा लंबा जो नंबर और अल्फाबेटिकल से जुड़ा हुआ काफी लंबा होता है उसे ही यूआरएल कहा जाता है और इसी पूरी यूआरएल का जो सबसे छोटा हिस्सा होता है उसे ही हम लोग उस वेबसाइट के नाम से पुकारते हैं वही असली डोमेन काल आता है जिसे हम लोग डोमेन नेम सिस्टम कहते हैं?



डोमेन नेम सिस्टम कैसे कार्य करता है?


जजब भी हम किसी कंप्यूटर या लैपटॉप के कोई भी वेब ब्राउज़र में कोई भी इंफॉर्मेशन को सर्च करते हैं तो हमारा कंप्यूटर उस इंफॉर्मेशन को सॉल्व करने की प्रक्रिया शुरू कर देता है इसका मतलब यह है कि डोमेन नेम सिस्टम क्वेरी जनरेट करती है इसके बाद हमारा कंप्यूटर उस डोमेन नेम से आईपी एड्रेस को हमारे कंप्यूटर के ऑपरेटिंग फाइल में और बी एन एस के सर्वर पर ढूंढता है यदि उसे यह इंफॉर्मेशन मिल जाती है ,


तो वह हमें रीडायरेक्ट करके उस इंफॉर्मेशन को हमारे कंप्यूटर पर दिखाने लगता है इससे हमारे कंप्यूटर में डीएनएस कैचे का निर्माण हो जाता है और इसी को हम लोग वायरस के नाम से भी जानते हैं आपको बता दें कि हमारे कंप्यूटर में डोमेन नेम सिस्टम को आईपी एड्रेस में कन्वर्ट करने का काम करता है, इंटरनेट पर प्रत्यक्ष इंटरनेट कनेक्टेड डिवाइस के लिए एक आईपी ऐड्रेस होता है जैसे कि किसी घर का पता लगाने के लिए उसके शहर गांव का पता लगाना पड़ता है,


 ठीक उसी प्रकार कोई भी वेबसाइट हो को इंटरनेट पर ढूंढने के लिए डीएनएस सर्वर के द्वारा डोमेन नाम का इस्तेमाल किया जाता है जोकि आपके वेब ब्राउज़र के पीछे कार्य करता है आपके द्वारा दिए गए इंफॉर्मेशन को समझ कर आप को समझाने का प्रयत्न करता है चलिए इसे आसानी से समझने का प्रयास करते हैं?


step1 यदि हम किसी भी वह ब्राउज़र के सर्च बारे में कोई वेबसाइट को इंटर करते हैं तो सबसे पहले ब्राउज़र उस डोमेन नेम का आईपी ऐड्रेस ढूंढना स्टार्ट कर देता है।


step2 यदि आप इस ब्राउज़र का इस्तेमाल पहले कर चुके हैं तो इसका आईपी ऐड्रेस आपके ब्राउज़र के cache मैं स्टोर होगा इसके बाद ब्राउज़र के कैचे मेमोरी को आसानी से चेक किया जाता है।


step3 यदि आपका कैचे आईपी ऐड्रेस मिल गया है तो आपका वेबसाइट और पहना हो जाएगा और यदि आपका कैसे आपके ब्राउज़र में नहीं मिला तो आपके ब्राउज़र के ऑपरेटिंग सिस्टम को रिक्वेस्ट ट्रांसफर कर देगा


step4 फिर आपका ऑपरेटिंग सिस्टम आपकी दुआ द्वारा दिया गया इंफॉर्मेशन को सॉल्व करने की कोशिश इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा करता है जिसमें पहले से उसके पास कैसे उपलब्ध होता है और उसके पास आईपी ऐड्रेस भी स्टोर रहता है


step5 यदि आपका आईपी एड्रेस यहां मिल जाता है तो आपके वेबसाइट आसानी से ओपन हो जाता है और यदि यहां आईपी एड्रेस नहीं मिलता है तो इसे सॉल्व करने के लिए रूट सर्वर को रिक्वेस्ट भेज दीजिए दी जाती है।



step6 फिर रूट सर्वर आगे टॉप लेवल डोमेन को यह सूचना देता है और आपके वेबसाइट के डोमेन के अनुसार टॉप लेवल डोमेन के सर्वर से संपर्क होता है जैसे मान लीजिए आपने .com का डोमेन इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपके सूचना प्राप्त करने के लिए डॉट कॉम के सर्वर को रिक्वेस्ट भेज दिया जाएगा।


step7 इसके बाद टॉप लेवल डोमेन सर्वर से जानकारी मिलने पर आपके डोमेन के आईपी ऐड्रेस की जानकारी मिलने पर आपके वेबसाइट पर रिजल्ट दिखाया जाता है जिससे आप आसानी से कोई भी वेबसाइट को एक्सेस कर सके इसके साथ ही आपके ब्राउज़र में इस आईपी ऐड्रेस को कैचे में स्टोर भी कर लिया जाता है ताकि जब दूसरी बार आप इस वेबसाइट से संबंधित कोई भी जानकारी सर्च करें तो यह सारा प्रोसेस पीछे करना नहीं पढ़े।


step8 यहां आपने देखा कि कितना ज्यादा लंबा प्रोसेस के द्वारा आईपी एड्रेस को निकाला जाता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह सभी क्रिया मात्र कुछ ही सेकंड में समाप्त हो जाती है इसीलिए लोग जल्द से जल्द इंटरनेट से कोई भी कार्य आसानी से कम समय में कर पाते हैं। 



डोमेन नेम सिस्टम कितने प्रकार के होते हैं?


डोमेन नेम बहुत प्रकार के होते हैं लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण है उसके बारे में आज चर्चा करेंगे जिसे आगे चलकर ऑनलाइन पैसा कमाने में आपकी मदद हो सके तो चलिए शुरू करते हैं।



1 Top level Domain name system

2 Second level Domain name system

3 Sub -domain 

4 Fully qualified domain name system 



1 Top level Domain name system 


Top level domain name system ko internet domain extension के नाम से भी पुकारा जाता है , ये DNA structure मे highest level का होता है इस प्रकार के डोमेन बहुत लाभदायक होता है अपने वेबसाइट के लिए क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्रकार के डोमेन के साथ जुड़ता है और इसे रैंक करवाने में बहुत ही आसानी होती है,


 इस डोमेन के साथ हम अपने किसी भी वेबसाइट को गूगल सर्च रैंकिंग में बड़े ही आसानी से rank करा सकते हैं इसलिए इस डोमेन का इस्तेमाल आज कल ज्यादा हो रहा है। आपके जानकारी के लिए बता दूं कि टॉप लेवल डोमेन की संख्या करीब 2000 है जिसे मैंने कुछ नीचे महत्वपूर्ण डोमेन को बताया है 


Top level domain ka example


.com  (commercial)

.org  (organisation)

.net  (network )

.gov  (government)

.edu  ( education)

.name  ( name )

.biz  (business)

.info  (information)

.in  ( india )

.uk  (United Kingdom )

.mil  ( military )



2 second level domain 


सेकंड लेवल डोमेन टॉप लेवल डोमेन के बाद आता है इसका कुछ अलग परफॉर्मेंस होता है यदि आप किसी वेबसाइट का नाम लिखते हैं तो यह डोमेन नेम के अंतर्गत आता है और chandanbloging.co.in का डोमेन नेम सेकंड लेवल डोमेन नेम काल आता है।



3 sub domain 


सब्डोमेन टॉप लेवल डोमेन का एक छोटा सा ऐसा होता है जो मुख्य डोमेन नेम के साथ जुड़ा हुआ रहता है । जैसे हम कोई ब्लॉगर पर अपना वेबसाइट बनाते हैं तो उसमें sub domain फ्री में provide किया जाता है , 


 जैसे

 support. chandanbloging.co.in 

 South. chandanbloging.co.in


 ये दोनो chandanbloging.co.in का sub domain है ।



4 fully qualified domain name system 


 इस domain name को एक उदाहरण से समझते है, जैसे www. Support. chandanbloging.co.in एक fully qualified domain name system के अंतर्गत आता है ।

 


Domain name system के server कितने प्रकार के होते है ?



आपको बता दें कि डोमेन नेम सिस्टम के server मुख्यता तीन प्रकार के होते हैं जो नीचे लिखे कथनों में उल्लेखित है इसी तीन प्रकार के कारण यह अपने सर्वर के द्वारा आसानी से कनेक्ट होकर हमारे इंफॉर्मेशन को आसानी से सॉल्व करके हम तक पहुंच जाता है।


1 Recursive domain name system 

2 Authoritative domain name system 

3 Root domain name system 




Top DNS service provider compay list 


यदि आप अपना खुद का वेबसाइट बनाना चाहते हैं तो आपको किसी ना किसी कंपनी के द्वारा डोमेन नाम खरीदना है पड़ेगा इसलिए आज मैं आपको टॉप लेबल डोमेन नाम सर्विस प्रोवाइडर करने वाली कंपनी की नाम बताऊंगा जिस पर आप अपना एक फ्री में अकाउंट बनाकर डोमेन रजिस्टर्ड कर सकते हैं।


GoDaddy 

Namecheap 

Bigrock 

Net4india 

Square brothers 

India links 

1 and 1 

Znetlive 

Com 

In 

Ipage 

Eweb guru 

Hostgator 


Domain name कैसे खरीदे ।


आप अपने नॉलेज के अनुसार डोमेन नेम का चयन कर सकते हैं किस विषय पर आपको ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त है और किसके बारे में आसान शब्दों में लोगों को समझा सकने में पूरी तरह से सक्षम है सिर्फ उसी प्रकार का ही दमन डोमेन खरीदने का प्रयास करें हमेशा कोशिश यह रखने की डोमेन नेम सिस्टम अपने नॉलेज के अनुसार रखें जिससे किसी भी प्रकार की जानकारी आप आसानी से यूजर्स तक पहुंचा सकें, 


ऐसा डोमेन नेम का चयन करें जो पढ़ने और याद रखने में बिल्कुल आसान हो हमेशा यह कोशिश रखें कि अपने नाम और किसी भी वेबसाइट से बिल्कुल अलग डोमेन नेम रखने की कोशिश करें हो सके तो हमेशा टॉप लेवल डोमेन ही खरीदें और अपने डोमेन नेम सिस्टम में कभी भी नंबर और simbol का प्रयोग नहीं करें , हमेशा छोटा से छोटा डोमेन का चयन करें और याद रखने की किसी भी दूसरे domain से बिल्कुल भी मिलता जुलता नहीं हो , तो चलिए आपको पूरी तरह समझ में आ गया होगा की डोमेन नेम किस प्रकार बनाया जाता है


DNS record क्या होता है ? What is DNS records in hindi 


दरअसल डोमेन नेम सिस्टम का इस्तेमाल डोमेन नाम और आपके आईपी ऐड्रेस को स्टोर  रखने का काम करता है , और आपके सभी प्रकार के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखता है , जिसे DNS records कहते है । सभी प्रकार के आपके वेबसाइट के द्वारा किया गया कार्य या आप के वेबसाइट पर किसी दूसरे व्यक्तियों के द्वारा किया गया सभी प्रकार के कार्य को एक सुरक्षित तरीका से डी एन एस के द्वारा रखा जाता है और इसे server पर आसानी से स्टोर भी रखता है , तभी जाकर किसी दूसरे वेबसाइट के तरह आपका भी डाटा स्टोर रहता है ।



DNS records कितने प्रकार के होते है ?


डीएनएस सर्वर कई प्रकार के होते हैं जो हम लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है चलिए इसके बारे में जो कि सबसे महत्वपूर्ण है उसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और मुख्य रूप से यह कई प्रकार के होते हैं लेकिन हम लोग इसके बारे में कुछ रिकॉर्ड को जानते हैं।


A               IPV4 address record 

AAAA       IPV6 Address record 

CName     canonical name record 

Ns              Name server record 

TXT           text record 

SRV            Service Location Record 

MX            Mail Exchanger record 

SoA           Start of Authority record 

PTR           Pointer Type Record 



निष्कर्ष 


हमें उम्मीद है कि मेरे तीन द्वारा दिया गया है यह जानकारी डोमेन नेम सिस्टम क्या है इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है आपको पूरी तरह से समझ में आ गया होगा यदि किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट करके अवश्य बताएं इसके साथ ही हमें जरूर बताएं कि यह लेख आपको कैसा लगा,


 हमें आशा है कि dns क्या है आपको बहुत पसंद आया होगा इसे अधिक से अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जरूर शेयर करें इसके साथ ही यदि ब्लॉगिंग से रिलेटेड किसी भी प्रकार का प्रश्न है तो आप हमें कमेंट करके अवश्य बताएं 


Post a Comment