चलिए आज जानते हैं पूर्व भारतीय सफल कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के जीवन का संपूर्ण परिचय के बारे में जो शायद ही आपको पता होगा किस प्रकार उन्होंने एक सफल कप्तान होने के साथ साथ लोगो के दिलो पर राज किया और आज भी जब भारतीय क्रिकेटर कुछ मिस्टेक करते है तो हमलोग महेंद्र सिंह धौनी को जरूर याद करते हैं इतने बड़े महान व्यक्तित्व के बारे में प्रत्येक व्यक्ति को जानना चाहिए तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं महेन्द्र सिंह धौनी के जीवनी

महेन्द्र सिंह धौनी का जीवनी

महेंद्र सिंह धौनी का प्रारंभिक जीवन 

महिंद्र सिंह धोनी का जन्म रांची, बिहार(झारखण्ड) में हुआ, उनके पिता का नाम पान सिंह व् माता श्रीमती देवकी देवी उनके पैत्रक गाव, लावली उत्तरखंड के अल्मोरा जिले के अंतर्गत लामगढ़ा ब्लाक में है. उनके पिता माता उत्तरखंड से रांची चले आये जहा उनके पिताजी श्री पण सिंह मेकोन कंपनी जे जूनियर मैनेजमेंट वर्ग में काम करने लगे

धोनी की एक बहन है जिनका नाम है जयंती और एक भाई है जिनका नाम है नरेंद्र, धोनी एडम गिलक्रिस्ट के बहोत बड़े फेन है, और उनके बचपन के आदर्श खिलाडी उनके अभी के सह-खिलाडी सचिन तेंदुलकर थे, और बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन उन्हें पसंद थे और गायक में वे लता मंगेशकर को पसंद करते थे

धोनी दी ए वि जवाहर विद्यालय मंदिर, श्यामली, रांची, झारखण्ड में एचपढ़ते थे जहा उन्होंने शुरू से ही बैडमिंटन और फुटबॉल में अपना हुनर प्रदर्शन किया जिस कारन वे जिला व् क्लब लेवल में भी चुने गए धोनी अपने फुटबॉल टीम के गोलकीपर भी रह चुके है. उन्हें लोकल क्रिकेट क्लब में क्रिकेट खेलने के लिए उनके फुटबॉल कोच ने भेजा था

महेन्द्र सिंह धौनी का व्यक्तिगत जीवन 

धोनी दक्षिण रेलवे के 2001 से 2003 तक खरगपुर रेलवे स्टेशन पर टीटीई (ट्रेन टिकेट एग्जामिनर) रह चुके है, वे हमेशा उनकी शरराती हरकतों के लिए जाने जाते थे एक बार, धोनी जब किसी स्टेशन के रेलवे क्वार्टर पर रह रहे थे, तब धोनी और उनके दोस्त ने खुद को सफ़ेद कम्बल से पूरी तरह ढक लिया था और देर रात तक स्टेशन पर घूम रहे थे, वहा पर उपस्थित पहरेदार उन्हें देख कर घबरा गया क्यू की उसे यकीं नहीं हो रहा था की इतनी रात में वहा कोई भुत घूम रहा है. उनकी यही शरारत दुसरे दिन एक बड़ी खबर बन गयी थी,

धोनी एक आक्रामक सीधे हाथ के बल्लेबाज और विकेटकीपर है। धोनी उन विकेटकीपरों में से एक है जिन्होंने जूनियर व भारत के ए क्रिकेट टीम से चलकर राष्ट्रीय दल में प्रतिनिधित्व किया। पार्थिव पटेल,अजय रातरा और दिनेश कार्तिक उन्हीं के दिखाए हुए रास्ते पे चले। धोनी जो अपने दोस्तों में माही के नाम से जाने जाते है। बिहार क्रिकेट टीम में १९९८/९९ के दौरान अपना योगदान दिया और भारत-ए टीम के लिए २००४ में हुए केन्या दौरे का प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित हुए। त्रिदेशीय श्रृंखला में पाकिस्तान-ए टीम के खिलाफ धोनी ने गौतम गंभीर के साथ मिलकर कई शतक बनाये और उस साल के अंत में भारतीय राष्ट्रीय टीम में चयनित हुए।

महेन्द्र सिंह धौनी का कार्य शैली 

धोनी ज्यादातर बैकफ़ुट में खेलने के लिए और मज़बूत बॉटम हैण्ड ग्रिप होने के वजह से जाने जाते है, वे बहुत तेज़ गति से बल्ला चलाते है, जिसके कारण गेंद अक्सर मैदान छोड़ जाती है। उनके प्रारम्भिक मुद्रा में ज्यादा संचार नहीं दिखती जैसे गेंद का पीछा करना ,उनके शैली में गेंद का पिच में न आना और इनसाइड एजिंग ज्यादा दिखती है।

२००५ में अपने पाँचवे एक दिवसीय मैचमें पाकिस्‍तान के खिलाफ धोनी ने १४८ रनों की जबर्दस्त पारी खेली थी। ये किसी भारतीय विकेट-कीपर के द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर है। उस साल के अंत में श्रीलंका के खिलाफ नाबाद १८३* रन बनाकर उसने ना सिर्फ़ ख़ुद का बनाया रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि एक दिवसीय मैचों की दूसरी पारी में बनने वाला अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड भी कायम किया था। सीमित ओवरों के प्रारूप में धोनी की सफलता ने उनका स्थान भारतीय टेस्ट टीम में पक्‍का कर दिया और २००५/०६ के अंत में हुए एक दिवसीय क्रिकेट में अपने अनुकूल प्रदर्शन से धोनी को आईसीसी एक दिवसीय रेटिंग में नम्बर १ बल्लेबाज के रूप में स्‍थापित किया।

इसके बाद धोनी का फॉर्म गिरता रहा जब २००६ में भारत आईसीसी चैम्पियन ट्राफी, डीएलऍफ़ कप और द्विपक्षीय श्रृंखला में वेस्ट इंडीज एवं दक्षिणी अफ्रीका के खिलाफ मैच हार गया। २००७ की शुरुआत में दक्षिणी अफ्रीका एवं वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ धोनी के फॉर्म में वापस आने की बात तब ग़लत साबित हो गई जब भारत २००७ क्रिकेट विश्व कप में पहले ही राउंड में बाहर हो गया। वर्ल्ड कप के बाद धोनी ने द्विपक्षीय एकदिवसीय टूर्नामेंट में बंगलादेश के खिलाफ मैन ऑफ़ द सीरीज़ का खिताब जीता। फिर २००७ में इंग्लैंड दौरे के लिए धोनी को एक दिवसीय टीम का उप-कप्तान बनाया गया।

अच्छे बल्लेबाज़ के रूप में धोनी ने अपनी लड़ाकू शैली को नियंत्रण करने की समझदारी दिखाई और जिम्मेदार पारियां खेली। अपनी चिरपरिचित शैली को छोड़ धोनी ने दो अनोखे और असरदार क्रिकेट स्ट्रोक अपनाए। भारतीय क्रिकेट टीम में अपने प्रवेश से आज तक, धोनी की आक्रामक बल्लेबाजी की शैली, क्षेत्र पर सफलता, व्यक्तित्व और लंबे बालों ने उसे भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय खिलाड़ी बना दिया। 

महेन्द्र सिंह धौनी जूनियर क्रिकेट में शामिल 

धोनी को १९९८/९९ में बिहार अंडर-१९ में शामिल किया गया था जिसमें इन्होंने ५ मैचों (७ पारियों) में कुल १७६ रन बनाये, पर टीम छह के समूह में चौथे स्थान पर आई थी इसलिए क्वार्टर फाइनल तक नहीं आ पाई। धोनी को पूर्वी क्षेत्र अंडर-१९ दस्ते (सीके नायडू ट्रॉफी) और बाकी भारतीय दस्ते (एम ए चिदम्बरम ट्रॉफी और वीनू मांकड़ ट्रॉफी) के लिए नहीं चुना गया था। बिहार अंडर-१९ क्रिकेट टीम १९९९—२००० के फाइनल में पहुँची जहां धोनी ने बिहार के लिए ८४ रन बनाए थे जबकि टीम ने कुल ३५७ रन बनाए थे। जबकि पंजाब अंडर-१९ टीम ने कुल ८३९ रन बनाए जिसमें युवराज सिंह ने ३५८ रन बनाए थे युवराज सिंह आगे चलकर धोनी के राष्ट्रीय स्तर पर सहयोगी बने। यूवी के ३५८ रनों के सामने धोनी का स्कोर छोटा पड़ गया। पूरे टूर्नामेंट में धोनी ने ९ मैचों में १२ पारियों में कुल ५ अर्द्धशतक ,१७ कैच और ७ स्टम्पिंग भी किये।

इसके बाद सी के नायडू ट्रॉफी के लिए खेले गए ईस्ट जॉन अंडर-१९ मुकाबले में हिस्सा लिया लेकिन वे चार मैचों में केवल ९७ रन ही बना पाए थे जिसके कारण ईस्ट जॉन ने चारों मैचों में हार का सामना करके टूर्नामेंट में अंतिम स्थान प्राप्त किया।

महेन्द्र सिंह धौनी बिहार का टीम मे चयन 

धोनी जब १८ साल के थे तब १९९९/२००० में इन्होंने बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। वह अपनी पहली मैच में असम टीम के खिलाफ दूसरी पारी में ६८ रनों की लाजवाब पारी खेली थी।[ धोनी ने ५ मैचों में २८३ रनों के साथ वो सीजन खत्म किया था। बाद में धोनी ने २०००/०१ के सीजन में बंगाल के खिलाफ अपना पहला प्रथम श्रेणी शतक लगाया। इसके आलावा २०००/०१ सीज़न में धोनी किसी भी मैच में अर्द्धशतक नहीं बना पाये थे।

इसके बाद २००२/०३ के सीज़न में धोनी ने चार रणजी मैच में पांच अर्धशतक बनाए और देवधर ट्रॉफी के अर्न्तगत दो अर्धशतक बनाए, तत्पश्चात उन्हें निचले क्रम के योगदान में अच्छी छवि बनने लगी।

२००३/०४ के सीज़न में असम के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के पहला एक दिवसीय ट्रॉफी में धोनी ने नाबाद १२८ रन बनाए। वे ईस्ट ज़ोन के अर्न्तगत खेले और उस साल की देवधर ट्रॉफी में उन्होंने चार मैचों में कुल २४४ रन बनाए। दिलीप ट्रॉफी के फाइनल मैच में धोनी को क्रिकेटर दीप दास गुप्ता के जगह ईस्ट जॉन का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया और उन्होंने उस मैच के दूसरी पारी में में एक आक्रामक अर्द्धशतक लगाया था।

महेन्द्र सिंह धौनी का भारतीय टीम मे जगह

२००३/०४ के सीज़न में उनके कड़े प्रयास के कारण धोनी को पहचान मिली, खास कर वनडे मैच में उन्हें जिम्बाब्वे व केन्या के लिए भारत ए टीम में चुने गए। हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे इलेवन के खिलाफ धोनी ने ७ कैच और ४ स्टमपिंग किये और अपने विकेट-कीपर होने का हुनर दिखाया। 

त्रिकोणीय टूर्नामेंट के अर्न्तगत केन्या, भारत ए और पाकिस्तान ए ने भाग लिया जिसमें धोनी ने पाकिस्तान के २२३ रनों का पीछा कर उस मैच में अर्धशतक बनाया और भारत को जीत प्राप्त करने में सहायता की। अपने प्रदर्शन को और मज़बूत करते हुए इन्होंने इसी टूर्नामेंट में १२० व ११९ रन बना कर दो शतक पूरे किए।

धोनी ने कुल ७ मैचों में ३६२ रन बनाए जिसमें उनका औसत ७२.४० रहा और इस श्रृंखला में दूसरों के बीच उसके प्रदर्शन पर उस समय के कप्तान सौरव गांगुली का ध्यान गया। तथापि, भारत 'ए' टीम के कोच संदीप पाटील ने विकेट-कीपर और बल्लेबाज के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह के लिए धोनी की सिफारिश की।

महेंद्र सिंह धौनी का एक दिवसीय क्रिकेट मैच 

२००४ ०५ में भारतीय क्रिकेट टीम ने बांग्लादेश का दौरा किया उस दौरे पर राहुल द्रविड़ को विकेटकीपर में रखा गया ताकि बल्लेबाजी में कोई कमी न आए। भारतीय क्रिकेट में उस समय पार्थिव पटेल व दिनेश कार्तिक जैसे प्रतिभाशाली विकेटकीपर और बल्लेबाज थे जो कि जूनियरों की श्रेणी में आते थे। यह दोनों ही टेस्ट अंडर १९ कप्तान रह चुके थे। हालांकि धोनी ने तब तक अपनी पहचान भारत ए टीम में बना ली थी या कारण उन्हें २००४-०५ में बांग्लादेश दौरे के लिए वनडे टीम में चुन लिया था।

धोनी की एक दिवसीय कैरियर कई शुरुआत कुछ ख़ास नहीं रही और अपने पहले ही मैच में बिना खाता खोले रन आउट हो गए थे। बांग्लादेश के खिलाफ उनका प्रदर्शन अच्छा न होने के बावजूद भी वे पाकिस्तान के खिलाफ वनडे टीम के लिए चुने गए थे। उस श्रृंखला के दुसरे मैच में जो कि धोनी का पाँचवा वनडे मैच था और वह मैच विशाखापत्तनम में खेला गया था में धोनी ने १२३ गेंदों पर शानदार १४८ रनों की पारी खेली थी। १४८ रन बनाकर धोनी ने विकेटकीपर होते हुए एक मैच में सर्वाधिक रन बनाए।

श्रीलंका के द्विपक्षीय एकदिवसीय श्रृंखला (अक्टूबर-नवम्बर, 2005) में धोनी को पहले दो मैचों में बल्लेबाजी के कुछ ही अवसर मिले और सवाई मानसिंहस्टेडियम (जयपुर) में हुए तीसरे एकदिवसीय में 3 नम्बर पर उतरने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। कुमार संगक्काराके शतक बनाने के बाद श्रीलंका ने भारत के लिए 299 का लक्ष्य निर्धारित किया था और उत्तर में.भारत ने तेंदुलकर का विकेट जल्दी खो दिया। 

धोनी को तेज करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था और उसने 145 गेंदों में न आउट होते हुए 183 रून्स बनाए और भारत को जीत दिलाई. विस्दें अल्मानक(2006) इस इनिंग्स को "उनिन्हीबितेद, येत अन्य्थिंग बुत क्रूड कहे कर प्रशंग्षा की। इस इनिंग्स ने कई रिकॉर्डबनाए जिसमे ओ.दी.आई. के दित्विया इनिंग्स में सर्वोच्चा स्कोर का रिकॉर्ड वि है जो आज तक बरक़रार है।

धोनी ने सर्बोच्चो (346) रन बनाकर उनकी श्रंखला ख़तम किए एबोंग श्रंखला के अंत में मन ऑफ़ द सीरीज़ सम्मान प्रापत किए। दिसम्बर 2005 में क्रिकेट मैदान पर धोनी को अछे प्रदर्शन के कारण सी ग्रेड स्तर छोड़ते हुए बिसीसीईने धोनी को बी ग्रेड के लिए चयनित किया।

भारत ने 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने पहले मैच में 50 ओवरों में 328 रन बनाये, जिसमे धोनी ने 68 रन का योगदान दिया। हालांकि टीम ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। आठ ओवर में सिर्फ 43 रन बनाए और मैच हार गए। यह हार डाक लुईस पध्हति के कारण हुआ। श्रंखला के तृतीय मैच में धोनी ने कठिन समय में भारत का साथ दिया और केवल 46 गेंदों में 72 रून्स करते हुए,

जिसमे की 13 बौन्दरिस भी है, भारत को 2-1 श्रंखल में जीत दिलाई.श्रंखला के अंतिम मैच में धोनी ने वही प्रदर्शन दहुराता हुआ 56 गेंदों में 77 रून्स बनके भारत को 4-1में श्रंखला जीत दिलाई. धोनी के लगातार अछे प्रदर्शन के कारण 20 अप्रैल,2006 में आईसीसी ओ डी आइ क्रमांक अनुसार धोनी ने रिक्की पोंटिंग को अव्वल नंबर के बल्लेबाजी में पीछे छोड़ दिया। पर उनका राज कुछ ही दिन बरक़रार रहा क्युकी उसके बाद ऐडम गिल्च्रिस्ट ने बांग्लादेश के खिलाफ शानदार प्रदर्शन कर सर्वोच्चा स्थान प्राप्त किया।

श्रीलंका में खारिज किए गए दो श्रीन्ख्लाओ में जहा साउथ अफ्रीका ने सुरक्षा चिन्ता [के कारण उनितेक कप से पीछा हटा और 3 मत्चो का ओ डी इ अतिरिक्त श्रंखला भरी बारिश के कारण खारिज हो गया। वही से भारत का निराशाजनक सिलसिला शुरू हुआ जोंकी था डी एल ऍफ़ कप 2006-07,

धोनी ने केवल 43 रन बनाये और टीम ने तीन में दो मैच हार गई और फाइनल तक नहीं पहुच पाए,भारत की गैर तयारी 2006 आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में सामने आई, जब की भारत वेस्ट इंडीज व ऑस्ट्रेलिया से हार गई। हालाकि धोनी ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ अर्ध शतक बनाए। साउथ अफ्रीका के ओ डी आइ श्रंखला में भारत और धोनी का एक जैसा हाल था, 

जहा धोनी ने 4 मैचौ में 139 बनाए थे वही भारत ने 4-0 व्यवधान में श्रंखला हार गया। इस वेस्ट इंडीज़ एकदिवसीय श्रृंखला में शुरुआत से धोनी ने 16 मैच खेले, सिर्फ दो अर्धशतक बनाये और 25.93 का औसत रहा। धोनी की पूर्व विकेटकीपर Syed Kirmaniसैयद किरमानीने विकेटकीपिंग की तकनीक पर आलोचना की।

भारत की वेस्ट इंडीज़ और श्रीलंकापर एक सी 3-1 की जीत के दर्ज होने पर 2007 क्रिकेट वर्ल्ड कपकी तैयारियों में कुछ सुधार हुआ और धोनी का इन दोनों श्रृंखला में 100 से अधिक का औसत था। हालांकि, भारत अप्रत्याशित रूप से बांग्लादेश और श्रीलंका के खिलाफ हारने के बाद विश्व कप से बाहर हो गया।

धोनी इन दोनों मैचों में जीरो पर आउट हो गया और पूरे टूर्नामेंट में 29 रन बनाए। वर्ल्ड कप में बांग्लादेशके खिलाफ 91* रन बना कर धोनी ने अपनी निराशा को दूर किया, उसने ये रन तब बनाये जब भारत लक्ष्य का पीछा करते हुए एक कठिन परिस्थिति में था। धोनी को उसके प्रदर्शन के लिए एकदिवसीय क्रिकेट में मैन ऑफ़ दी मैच घोषित किया गया था।

इस श्रृंखला के तीसरे मैच के बारिश में धुल जाने के बाद उसे मैन ऑफ़ दी सीरिज़ भी घोषित किया गया। धोनी का अफ्रीका-एशिया कप अच्छा रहा, उसने 3 मैचो में 87.00 की औसत से 174 रन बनाये, जिसमे 97 गेंदों पर 139 रनों की नाबाद पारी और तीसरे एकदिवसीय में मैन ऑफ़ दी मैच इनिंग्स भी है।

धोनी को ऐय्र्लंद के साउथ अफ्रीका के खिलाफ श्रंखला में ओ डी आइ वाइस कैप्टेन के रूप में नामित किया गया था तत्पश्चात भारत और इंग्लैंड-7-मैच एकदिवसीय श्रृंखला के लिए धोनी को दिसम्बर 2005में मिले बी ग्रेड कोन्त्रक्ट से जून 2007 में अ ग्रेड कोन्त्रक्ट में उन्नित किया गया। एकदिवसीय टीम के कप्तान, दिसम्बर 2005 में एक 'बी' ग्रेड ठेका मिला था, जून 2007 में एक 'ए' ग्रेड के अनुबंध से सम्मानित किया।

और वे इंडिया ट्वेंटी 20 क्रिकेट टीम के लिए 20 सितम्बर 2007 में कैप्टेन चुने गए। 2 सितम्बर 2007 को महेंद्र सिंह धोनी ने एकदिवसीय की एक पारी में सबसे अधिल दिस्मिस्सल के लिए 5 अंग्रेज़ी खिलाड़ियों का कैच पकड़ने और एक स्तुम्पिंग से अपने आदर्श एडम गिलक्रिस्ट के अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी की।

 आईसीसी विश्व टवेंटी- 20 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने साउथ अफ्रीका में अपने कट्टर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़े मुकाबले में 24 सितम्बर2007 को जीत हासिल की और कपिल देव के बाद किसी भी तरह के क्रिकेट में वर्ल्ड कप जीतने वाले वो दूसरे भारतीय कप्तान बन गए।

महेन्द्र सिंह धौनी के टेस्ट करियर 

उसके अच्छे एक-दिवशिया छे प्रदर्शन के कारण धोनी ने दिसम्बर 2005 में भारतीय टेस्ट विकेट keeper के रूप में दिनेश कार्तिक की जगह ली धोनी अपनी मैच में जो कि बारिश के द्वारा ह्रद हो गया था 30 रन बनाए। धोनी ने क्रीज पर तब उतरे जब टीम 109/5 पर संघर्ष कर रही थी और विकेट गिरत रहे। उन्होंने एक आक्रामक पारी खेले और डिसमिस होने वाले आखरी खिलाडी थे, द्वितिया टेस्ट में धोनी ने अपना पहला अर्धशतक बनाया। उनके तेज़ स्कोरिंग दर (51गेंदों में अर्ध्सतक) के वजय से भारत ने श्रीलंका के सामने 436 का लक्ष्य रखा और 247[99] में ही श्रीलंका बोव्ल्ड आउट हो गया।

भारत ने जनवरी/फरवरी 2006 में पाकिस्तान का दौरा किया और यहाँ धोनी ने फैसलाबाद में दूसरे टेस्ट में अपना पहला शतक बनाया। भारत एक कठिन परिस्थिति में था जब धोनी के साथ इरफान पठान क्रीज़ पर आए, उस वक्त उनकी टीम को फोलो-ऑन से बचने के लिए 107 रनों की ज़रूरत थी।

 धोनी ने अपना निजी शैली को बरक़रार रखते हुए सिर्फ 93 गेंदों में अपना पहला टेस्ट सतक और सिर्फ 34 गेंदों में अपनी पहली अर्ध्सतक बनाया। स्कोरिंग के बाद उसकी पहली परीक्षा सदी रन बनाए धोनी अपने ठेठ आक्रामक पारी खेली। 

अपने पहले टेस्ट सतक के बाद धोनी ने अगले तीन मैचों, में बेहतरीन प्रदर्शन किया। इन में एक पाकिस्तान के खिलाफ जिसमे भारत हार गया और दो इंग्लैंड के खिलाफ था जिसमे भारत ने 1-0 नेतृत्व कर टेस्ट मैच में टिके रहे। वानखेडे स्टेडियममें हुए तीसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में धोनी ने भारतीय टीम में सबसे ज्यादा रन बनाये,

इंग्लैंड के 400 रनों के जवाब में भारत को 279 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुँचाने में उसके 64 रनों का काफ़ी योगदान था। हलाकि धोनी और दुसरे भारतीय फिल्देर्स कई कैच पकड़ नहीं पाए और कई दिस्मिसल मौके खो दिए जिसमे एंड्र्यू फ्लिंतोफ्फ़(14) को स्टांप आउट करने का सुनेहरा मौका वि शामिल है। धोनी हरभजन सिंह के बोलिंग का सही फ़ायदा उठाने में नाकाम रहा जिस कारण फ्लिंतोफ्फ़ ने 36 और रून्स बना कर भारत के सामने 313 का लक्ष्य रक् दिया, जो की भारत की सोच के बहार था। भारतीय टीम सिर्फ़ 100 रनों पर अपना इनिंग्स ख़तम किया जिसमे धोनी ने सिर्फ़ 5 रन बनाये और उसके लिए उसे अपने विकेट-कीपिंग एवं शोट चयन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। 

वेस्ट इंडीजदौरे पर एंटीगुआ में, धोनी ने पहले टेस्ट में एक तेज़ एवं आक्रामक 69 रन बनाये। श्रंखला का बाकि हिस्सा कुछ ख़ास नहीं रही क्यूंकि धोनी ने बाकी बची 6 पारी में सिर्फ़ 99 रन बनाये परन्तु उसकी विकेट-कीपिंग कौशल में काफ़ी सुधर आया और उसने इस श्रृंखला के अंत तक 13 कैच और 4 स्तुम्पिंग ली।

दक्षिणी अफ्रीका में हुई टेस्ट श्रृंखला में प्रोटेअस के ख़िलाफ़ दूसरा मैच बचाने में धोनी के 34 और 47 रन सक्षम नहीं रहे और भारत ये टेस्ट श्रृंखला 2-1 से हार गया, इस तरह दक्षिणी अफ्रीका में टेस्ट मैच (पहले टेस्ट मैच में) जीतने का मौका भी हाथ से चला गया। धोनी के हाथ में लगी चोट ने उसे तीसरे टेस्ट मैच से बाहर कर दिया।

धौनी के कप्तानी में मिली जीत 

1. 2007 आईसीसी वर्ल्ड कप 20-20

2. 2007-08 CB सीरीज

3. 2010 एशिया कप

4. 2011 आईसीसी वर्ल्ड कप

5. 2013 आईसीसी चैम्पियन ट्रोफी

भारतीय प्रीमियम लीग 

एम्.एस.धोनी को चेन्नई सुपर किंग्सने 1.5 मिलियन अमरीकी डालर के लिए अनुबंधित किया गया जिस कारण आइ पि एल पहले सीज़न के नीलामी में वे सबसे मंहगे खिलाडी बने रहे जिसके बाद एंड्र्यू स्य्मोंड्सका स्थान रहा। धोनी चेन्नई सुपर किंग्सटीम का वर्त्तमान कप्तान है।

महेन्द्र सिंह धौनी बिबादित 

वाल्क-ऑफ़ : भारत के 2006 के वेस्ट इंडीज दौरेके पहले टेस्ट मैच के चौथे दिन एंटीगुआ मनोरंजन ग्राउंड, सेंट जोंस, एंटीगुआ, में धोनी ने देव मोहमड की गेंद पर डेरेन गंगा ने मिड-विकेट क्षेत्र में कैच लिया। जब बल्लेबाज वापस आने लगे, कप्तान द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी क्यूंकि अंपायर भी साफ़ नहीं थे की क्षेत्ररक्षक ने रस्सी पर पैर रक्खा या नहीं और धोनी अंपायर का फैसल के लिए खड़े रहे। हांलांकि रिप्ले अनिर्णायक थे,

फ़िर भी वेस्ट-इंडीज़ टीम के कप्तान ब्रायन लारा अपने क्षेत्ररक्षक के कथन पर धोनी को वापस भेजना चाहते थे। मैच 15 मिनट तक रुके रहे और लारा अपना गुस्सा दिखता हुआ उंगली से अंपायर के खिलाफ प्रर्दशित कर रहे थे और अंपायरअसद रऊफ से गेंद छीन ली। अंततः, धोनी चले गए और द्रविड़ की घोषणा पर अमल हुई लेकिन खेल में देरी हुई और लारा की हरकतों को टिप्पणीकारों और पूर्व खिलाड़ियों ने आलोचना की थी। लारा को उसके कार्यों के सफाई के लिए मैच रेफरी ने बुलाया, लेकिन मैच रेफरी के द्वारा जुर्माना नहीं किया गया था,

घर टूटा : 2007 क्रिकेट विश्व कपमें बांग्लादेश के खिलाफ हारने पर धोनी के निर्माणाधीन घर को रांची में जे एम् एम् राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़ एवं क्षतिग्रस्त कर दिया गया। स्थानीय पुलिस ने उसके परिवार के लिए सुरक्षा व्यवस्था की क्यूंकि विश्व कप के पहले दौर में भारत उत्तेजित हो गया था।

महेन्द्र सिंह धौनी को मिला पुरस्कार और सम्मान 

1. 2007 में राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड।

2. 2008 और 2009 में ICC ODI प्लेयर ऑफ़ द इयर(दो बार ये पुरस्कार जितने वाले पहले खिलाडी)।

3. 2009 में भारत के चौथे सिविलियन का सम्मान उन्हें प्राप्त है।

4. 2009 के ICC वर्ल्ड टेस्ट इलेवन और ICC वर्ल्ड ODI इलेवन के कप्तान के रूप में भी उन्हें रखा गया है।

5. कपिल देव के बाद वे दुसरे भारतीय खिलाडी है जिन्हें इंडियन आर्मी का भी सम्मान पद मिला है।

6. 2011 में मोनफोर्ट यूनवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गयी।

7. 2011 में, दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में धोनी भी सामिल थे।

8. 2012 में, दुनिया के सबसे महंगे खिलाडियों में 16 वे नंबर पर थे।

महेन्द्र सिंह धौनी पर फिल्म बना 

धोनी क्रिकेट जगत के महानायक है, जिन्होंने अपनी मेहनत, काम से पूरी दुनिया में लोहा मनवाया है. इस महान हस्ती के जीवन पर बॉलीवुड की भी नज़र गई, डायरेक्टर नीरज पाण्डेय इनके जीवन पर फिल्म बना रहे है इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा सम्मान, कोई छोटी बात नहीं है फिल्म को प्रोडूस अरुण पाण्डेय कर रहे है, फिल्म की कहानी पूरी तरह से धोनी के जीवन पर है. फिल्म में धोनी के जीवन से जुड़े हुए उनके साथी खिलाड़ी भी दिखाई जायेंगे, फिल्म 2 सितम्बर 2016 को रिलीज़ होगी

सुशांत सिंह राजपूत – महेंद्र सिंह धोनी

हेर्री टंगरी – युवराज सिंह

फवाद खान – विराट कोहली

कियारा अडवानी – साक्षी धोनी

गौतम गुलाठी – ज़हीर खान

अनुपम खेर

भूमिका चावला

जॉन अब्राहम  

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महेन्द्र सिंह धौनी का पुरा नाम क्या है? 

महेन्द्र सिंह धौनी 

महेन्द्र सिंह धौनी का जन्म कब और कहां हुआ है? 

7 जुलाई 1981 Ranchi Bihar अब झारखंड 

महेन्द्र सिंह धौनी के माता पिता का क्या नाम है?  

देवकी सिंह और पान सिंह 

महेन्द्र सिंह धौनी के पत्नी का क्या नाम है? 

साक्षी धौनी 

महेन्द्र सिंह धौनी के बेटी का क्या नाम है? 

जीवा 

महेन्द्र सिंह धौनी के पास कुल कितने संपत्ति है।  

785 करोड़ 

महेन्द्र सिंह धौनी के कितने बच्चे है? 

एक 

महेन्द्र सिंह धौनी ने भारतीय टीम मे कौन सी भूमिका निभाई ? 

विकेट कीपर 

महेन्द्र सिंह धौनी का उपनाम क्या है? 

कैप्टन कूल 

महेन्द्र सिंह धौनी के कितने उम्र हो रहे है? 

41 बर्ष 

महेन्द्र सिंह धौनी ने कितने छक्के जड़े हैं?  

२२६ छक्के 

आईपीएल में धौनी ने कितने रन बनाए है ? 

5000 रन 

साक्षी धौनी के कितने उम्र हो रहे हैं। 

जन्म 1988  

महेंद्र सिंह धौनी का hight कितनी है? 

5 फीट 9 इंच 175 cm 

निष्कर्ष 

हमे उम्मीद है कि मेरे टीम द्वारा लिखा गया यह लेख महेन्द्र सिंह धौनी के जीवन के सफर की कहानी आपको बहुत पसंद आया होगा इससे संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट अवश्य करें इसके साथ ही इसे अधिक से अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें साथ ही ब्लॉगिंग से संबंधित किसी भी तरह के सवाल जानने के लिए कमेंट अवश्य करे,

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