सोने का सिक्का

दिल्ली शहर में दो व्यापारी रहते थे दोनों का घी का व्यापार था उनकी दुकानें भी पास पास ही थी। एक बार एक अधिकारी को अचानक धन  की जरूरत पड़ी तो कुछ नहीं दूसरे में पारी से 1000 सोने के सिक्के उधार ले लिए लेकिन चुकाने की जब बारी आई तो वह मुकर गया तब दूसरे के बारे में बादशाह अकबर के दरबार में फरियाद लगाई बादशाह ने मामला बीरबल के सुपुर्द कर दिया बीरबल ने दोनों को बयान देने को कहा।

वादी व्यापारी बोला, उसने मुझसे 1000 सोने के सिक्के उधार लिए थे लेकिन अब तो खाने से इंकार कर रहा है

प्रतिवादी व्यापारी बोला,  नहीं या सब झूठ या मुझ से जलता है इसलिए झूठे मुकदमे में फंसाना चाहता है।  

तब बीरबल ने कहा कि दोनों 10 दिन बाद दरबार में फिर से हाजिर हो । 

अब बीरबल ने सेवक को आदेश दिया कि 10 ऐसे कनस्तर लेकर आए जिस सभी ने 20-20 सेर घी भरा हो।

फिर उसने कनस्तर में से दो में सोने का एक एक सिक्का डाल दिया । इसके बाद विशेष शहर भर के जी विक्रेताओं को बुलवा भेजा वह दोनों व्यापारी भी  आए। बीरबल ने दोनों को एक एक कनस्तर देते हुए कहा कि इसमें 20 शेर घी भरा है । इसे घर ले जाओ और परीक्षण करके बताओ कि कि कैसा है और उसकी क्या कीमत होनी चाहिए।

बीरबल ने जानबूझकर वही दो कनस्तर उन दोनों व्यापारियों को दिए जिसमें उसने सोने का सिक्का डाला था।

व्यापारी घी का कनस्तर लेकर अपने अपने घर लौट गए फिर कई किस्म के परिरक्षण करने के बाद घी की कीमत तय करी । 

दोनों को कनस्तर में पड़ा सोने का सिक्का मिला वादी व्यापारी चुकी ईमानदार था सो उसने वाह सिक्का लौट आने का फैसला किया लेकिन बेईमान प्रतिवादी व्यापारी ने वह सिक्का अपने पुत्र को दे दिया। 

नियत दिन सभी व्यापारी दरबार में पहुंचे अपने अपने अपने स्तन के साथ।

बीरबल ने व्यापारी के कनस्तर को ध्यान से देखा तो उसे लगा कि घी की मात्र कुछ घट गई है । 

व्यापारी से पूछा तो वह बोला, बार-बार गर्म करने की वजह से ऐसा हुआ होगा यदि ऐसा है तो मुझे दूसरे कनस्तर भी देखने होंगे कहता हुआ हुआ बीरबल भीतर चला गया और सेवक से कहा इस व्यापारी के घर जाओ और उसके पुत्र से कहो कि सोना का वासी का लेकर यहां आए जो इसके पिता ने  घी के  कनस्तर से निकाल कर दिया था। 

जल्दी ही व्यापारी का लड़का उस सोने के सिक्के के साथ दरबार में मौजूद था।

बीरबल ने पूछा, इसके साथ 5 सिक्के और थे घी के कनस्तर में , वे कहा गए नहीं हमें तो कनस्तर में बस यही एक सिक्का मिला था लड़के ने जवाब दिया।

यह सुनकर बीरबल ने इस बेईमान व्यापारी से पूछा जब तुम सोने के 1 सिक्के के लिए मुझसे दगा कर सकते हो तो हजार सिक्के के लिए तुम्हारी नियत निश्चित ही डोल गई होगी तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है। 

बेईमान की प्यारी के पास अपराध स्वीकार कर लेने के अलावा कोई और चारा ना था वह बीरबल के पैरों में गिरकर क्षमा मांगने लगा उसने व्यापारी से लिए हजार सोने के सिक्के तथा कनस्तर से निकाला एक सिक्का वापस कर दिया। 

दरबार में मौजूद सभी लोग दिन भर के न्याय से इस अनोखे ढंग को देखकर वाह-वाह कर उठे 

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