हीरे की परख

 बादशाह अकबर की राजधानी में एक जोहरी को हीरे तराशने व चमकाने में महारत हासिल थी लेकिन अब वह बूढ़ा हो चला था और अधिक काम नहीं कर पाता था।

एक दिन सहायता मांगने व बीरबल के पास गया बीरबल ने जो हरि की बात ध्यान से सुनी और फिर उसे मिश्री की एक गाली देता हुआ बोला इसे कुछ इस प्रकार तराश हो कि देखने में असली हीरे जैसे लगे यदि तुमने ऐसा कर दिखाया तो यह मेरा वादा है कि तुम्हें बहुत धन मिलेगा।

कुछ दिन बाद बाजरी बीरबल के पास आया और उसे मिश्री की वडाली दिखाइ बेहद नफासत से 83 गई थी मिश्री की वह डाली और उसे चमकाया भी गया था बिल्कुल असली हीरे जैसे लग रही थी मिश्री की डली।

जौहरी की कलाकारी देख बीरबल बहुत खुश होकर बोला तुमने बहुत अच्छा काम किया है चलो मेरे साथ दरबार में चलो।

दरबार में पहुंचकर बीरबल सीधा बादशाह के पास पहुंचा और अभिवादन कर बोला हुजूर यह आदमी एक बेहद नयाब हीरा लेकर आया है आप से बढ़कर इस की कारीगरी का कद्रदान भल्ला और कौन हो सकता है आप ही इसकी कीमत लगाइए।

जिस समय बीरबल यह कह रहा था उस समय अकबर किसी अन्य जरूरी काम में लगे थे मिस्त्री हीरा लेकर जेब में रख लिया बाद में जब वो नहाने गए तो मिस्त्री हीरे के बारे में भूल ही गए और वह मिस्त्री हीरा पानी में भूल गया फिर जब तैयार होकर होने लगे तो अचानक उन्हें उस हीरे की याद आई पर अब वह कहां मिलता।

उन्होंने अपने सेवकों को आदेश दिया कि माल के कोने कोने में हुआ हीरा ढूंढा जाए लेकिन हीरा ना मिलना था सो नहीं मिला।

जब जौहरी दरबार में आया तो बादशाह ने उसे हीरे की कीमत पूछी जब जौहरी वही बोला जो बीरबल ने बोलने को कहा था हुजूर मैं पिछले 5 साल से उस हीरे पर काम कर रहा था उसकी एवज में कम से कम 25000 सोने के सिक्के तो मिलने ही चाहिए यही मेरे काम का सही कीमत है ।

25,000 नहीं  या तो बहुत ज्यादा है बादशाह ने कहा 

जौहरी बोला हुजूर यदि आप या कीमत नहीं दे सकते तो मेरा हीरा लौटा दीजिए मैं किसी और देश के राजा को बेच दूंगा।

बेचारे अकबर बादशाह के पास अब खाने को कुछ बचा ही ना था हीरा कहां से वापस लाते हैं आखिरकार उन्हें खजांची को कहना ही पड़ा तिजोरी को 25000 सोने के सिक्के दे दी जाए।

साथ ही बादशाह समझ गए क्या सब बीरबल की कारस्तानी है।


Post a Comment