आज इस पोस्ट में जानेंगे कि अल्बर्ट आइंस्टीन महान वैज्ञानिक के जीवन के कहानी , जो आपको बहुत ही प्रेरित करेंगे , इस महान वैज्ञानिक के बारे मे कौन नहीं चाहता है इतने महान आत्मा वाले कृतिमान व्यक्ति के बारे मे सभी लोग जानते है लोगो को इनके विचार काफी पसंद आया कहा जाता है कि अल्बर्ट आइंस्टीन अपने दिमाग का 5% तक इस्तेमाल कर लिया था,

जो आम लोगो के पहुंच से बाहर है। यह अपने जीवन में बहुत से अबिस्कार किए और लोगो को अनेक जानकारी दी। यदि आप इसका पूरी कहानी के बारे मे जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवनी 

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 


अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवनी

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्मा में हुआ था। उनका पूरा नाम अल्बर्ट हेमर्न आइन्स्टीन था।  जब आइंस्टीन पैदा हुए थे तो उनके सिर का आकार थोड़ा अजीब था लेकिन समय बितने के साथ उनके सिर का आकार सामान्य हो गया।  आइंस्टीन का बचपन मुश्किलों में गुजरा था वो बचपन में बोल भी नहीं पाते थे। दूसरे बच्चों की अपेक्षा उन्होंने देर से बोलना शुरू किया था और 4 साल के बाद वो सही से बोलने लगे थे।  वो क्लासिकल म्यूजिक के बहुत बड़े फेन थे । उन्होंने कहा था कि अगर मैं साइंटिस्ट नहीं होता तो मैं म्यूजिशियन होता।

आइंस्टीन का परिवार

उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय यहूदी परिवार में हुआ था । आइंस्टीन के पिता का नाम हेमर्न आइन्स्टीन और माँ का नाम पौलिन कोच था। उनके पिता एक सेल्समेन और इंजीनियर थे जिन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर एक इलेक्ट्रिक उपकरण बनाने की कंपनी शुरू की थी । उनकी माँ पौलिन कोच एक गृहणी थी और उनकी एक छोटी बहन भी थी जिसका नाम माजा था जो उनके जन्म के 2 साल बाद पैदा हुई थी

आइंस्टीन का वैवाहिक जीवन

आइंस्टीन ने दो शादियां की थी। उनकी पहली शादी मिलेना मरिक से 1903 में हुई थी, जिससे उनकी मुलाकात स्कूल में हुई थी। 1902 में आइंस्टीन के पिता की मृत्यु के बाद दोनों ने शादी कर ली, आइंस्टीन की इस शादी से उनकी एक बेटी और दो बेटे थे। 1919 में दोनों का तलाक हो गया । इसके बाद आइंस्टीन ने अपनी कजिन से शादी कर ली

अल्बर्ट आइंस्टीन के आविष्कार – Albert Einstein Inventions and Discoveries in Hindi

आइंस्टीन ने बहुत से अविष्कार किये थे। लेकिन थॉयरी ऑफ़ रिलेटिविटी (सापेक्षता का सिद्धांत) के कारण उन्हें याद किया जाता है । यही सिद्धांत बाद में परमाणु ऊर्जा और परमाणु बॉम्ब का आधार बना था। 

थॉयरी ऑफ़ रिलेटिविटी

आइंस्टीन ने 1905 में स्पेशल थॉयरी ऑफ़ रिलेटिविटी का सिद्धांत दिया था । बाद में 1915 में आइंस्टीन ने जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी का सिद्धांत दिया था । इस थ्योरी की मदद से उन्होंने ग्रहों की सूर्य की परिक्रमा की कक्षाओं की सही भविष्यवाणी की थी । इस सिद्धांत की मदद से गुरत्वाकर्षण बल कैसे काम करता है ये भी बताया था।  उनके इस सिद्धांत की बाद में दो ब्रिटिश वैज्ञानिकों सर फ्रैंक डयसन और सर आर्थर एड्डिंगटन ने 1919 में सूर्य ग्रहण के दौरान पुष्टि की थी

E=MC2 सिद्धांत

1905 में अपने एक रिसर्च पेपर में आइंस्टीन ने E=MC2 का सिद्धांत बताया था । जो कि दुनिया का सबसे प्रसिद्ध फार्मूला बन गया । इस फार्मूला में E एनर्जी है जो कि वस्तु के मास (m) और स्पीड ऑफ़ लाइट (C) की पावर 2 के बराबर है। 

अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में रोचक तथ्य

अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपना पहला रिसर्च पेपर 16 वर्ष की आयु में पब्लिश किया था । जिसका शीर्षक था ” द इन्वेस्टीगेशन ऑफ़ द स्टेट ऑफ़ ऐथेर इन मेग्नेटिक फ़ील्ड्स” 

जब उन्होंने स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक स्कूल में एडमिशन के लिए टेस्ट दिया तो उनका प्रदर्शन मैथ और फिजिक्स को छोड़कर बाकी सब्जेक्ट्स में बहुत बुरा था जबकि मैथ और फिजिक्स में उनका प्रदर्शन इतना अच्छा था कि स्कूल ने उन्हें एडमिशन देने का फैसला लिया।

आइंस्टीन के दिमाग में पैरिटल लोब का आकार सामान्य ब्रेन के मुकाबले 15 % बड़ा था वो बचपन से ही अनलिटिकल और क्यूरियस माइंड वाले थे लेकिन उनकी मेमोरी बहुत वीक थी वो नाम, डेट्स और फ़ोन नम्बर्स को याद नहीं रख पाते थे 

आइंस्टीन को जुराबें पहनना बिलकुल भी पसन्द नहीं था ये बात उन्होंने अपनी पत्नी एल्सा आइंस्टीन को लिखे पत्रों में कही और उन्होंने बताया की बहुत अवसरों पर भी उन्होंने जुत्तों के साथ जुराबें नहीं पहनी

क्यूंकि आइंस्टीन यहूदी थे और इज़रायल एक यहूदी राष्ट्र है इसलिए आइंस्टीन को 1952 में इज़रायल का राष्ट्रपति बनने का अवसर दिया गया था लेकिन आइंस्टीन ने ये अवसर ठुकरा दिया था

आइंस्टीन ने अलकोहल गैस से चलने वाले रेफ्रिजरेटर का अविष्कार किया था । लेकिन इस तरह से चलने वाले रेफ्रिजरेटर नई टेक्नोलॉजीस आने की वजह से कभी नहीं बनाए गए।

आइंस्टीन की मृत्यु के बाद जिस चिक्तिसक ने उनके शव का परीक्षण किया उसने उनके दिमाग को निकाल कर एक जार में रख लिया था । जिसकी वजह से उसे नौकरी से निकाल दिया गया । लेकिन फिर भी उसने वो जार नहीं लौटाया ,आख़िरकार 20 साल बाद उसने वो जार वापिस लौटाया। 

आइंस्टीन को जिस e=mc2 फार्मूला की वजह से पहचान मिली वो फार्मूला सबसे पहले फ्रेड्रिच के द्वारा इस्तेमाल किया था जिसकी वजह से इस फार्मूला को लेकर बड़ी बहस शुरू हो गई थी । लेकिन आइंस्टीन के थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी पर बहुत अधिक काम और गहरे अध्ययन की वजह से बाद में इसका क्रेडिट आइंस्टीन को ही दिया गया था

हिटलर के जर्मनी के वाईस चांसलर बनने के एक महीना बाद आइंस्टीन ने जर्मनी छोड़ दिया और स्थाई रूप से अमेरिका में जाकर बस गए । इसके बाद वो कभी अपनी जन्म भूमि जर्मनी नहीं गए। अमेरिका में बाहर से आए ऐसे ब्रेन्स की वजह से ही इतनी तरक्की है और अमेरिका ऐसे लोगों की कदर भी करता है शायद इसलिए वह आज अमेरिका नंबर वन है। 

आइंस्टीन को नोबल प्राइज फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट के लिए दिया गया जबकि बहुत से लोगों को लगता है कि उन्हें ये अवार्ड थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी के लिए दिया गया।

निष्कर्ष 

हमे उम्मीद है कि मेरे टीम द्वारा लिखा गया यह लेख अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवनी आपको बहुत पसंद आया होगा इसे अधिक से अधिक लोगों तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर अवश्य करें इसके साथ ही हमे अवश्य बताएं कि यह पोस्ट आपको कैसा लगा, किसी भी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट अवश्य करे।

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