चलिए आज जानते हैं एक महान विद्वान और समाजसेवी के बारे मे जिसका नाम है ज्योतिबा फुले के जीवनी , इसे अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हेतु इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें इसके साथ ही किसी भी प्रकार के डाउट को क्लियर करने के लिए अवश्य कमेंट करे,

ज्योतिबा फुले का जीवनी

ज्योतिबा फुले का जन्म 

जन्म- 11 अप्रॅल 1827 को पुणे, महाराष्ट्र 

ज्योतिबा फुले का मृत्यु 

निधन- 28 नवम्बर 1890 को पुणे, महाराष्ट्र 

 ज्योतिबा फुले को मिला उपलब्धि

ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली।

ज्योतिबा फुले के जीवन परिचय

ज्योतिराव गोविंदराव फुले महाराष्ट्र में सर्वप्रथम अछूतोद्धार और महिला शिक्षा का काम आरंभ करने वाले महान् भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे।ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 ई. में पुणे में हुआ था। 

उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। इसलिए माली के काम में लगे ये लोग ‘फुले’ के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा ने कुछ समय पहले तक मराठी में अध्ययन किया। परंतु लोगों के यह कहने पर कि पढ़ने से तुम्हारा पुत्र किसी काम का नहीं रह जाएगा,

पिता गोविंद राम ने उन्हें स्कूल से छुड़ा दिया। जब लोगों ने उन्हें समझाया तो तीव्र बुद्धि के बालक को फिर स्कूल जाने का अवसर मिला और 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंग्रेज़ी की सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की।

 ज्योतिबा फुले का विवाह

ज्योतिबा फुले का विवाह 1840 में सावित्री बाई से हुआ था।

 ज्योतिबा फुले के द्वारा विद्यालय की स्थापना

ज्योतिबा की संत-महत्माओं की जीवनियाँ पढ़ने में बड़ी रुचि थी। उन्हें ज्ञान हुआ कि जब भगवान के सामने सब नर-नारी समान हैं तो उनमें ऊँच-नीच का भेद क्यों होना चाहिए। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1854 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था।

लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया। उच्च वर्ग के लोगों ने आरंभ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकालवा दिया इससे कुछ समय के लिए उनका काम रुका अवश्य, पर शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए।

 ज्योतिबा फुले के द्वारा जाति से बहिष्कृत

अछूतोद्धार के लिए ज्योतिबा ने उनके अछूत बच्चों को अपने घर पर पाला और अपने घर की पानी की टंकी उनके लिए खोल दी। परिणामस्वरूप उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया गया। कुछ समय तक एक मिशन स्कूल में अध्यापक का काम मिलने से ज्योतिबा का परिचय पश्चिम के विचारों से भी हुआ,

पर ईसाई धर्म ने उन्हें कभी आकृष्ट नहीं किया। 1853 में पति-पत्नी ने अपने मकान में प्रौढ़ों के लिए रात्रि पाठशाला खोली। इन सब कामों से उनकी बढ़ती ख्याति देखकर प्रतिक्रियावादियों ने एक बार दो हत्यारों को उन्हें मारने के लिए तैयार किया था, पर वे ज्योतिबा की समाजसेवा देखकर उनके शिष्य बन गए।

 ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि

दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ‘सत्यशोधक समाज’ स्थापित किया। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी। ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। वे लोकमान्य के प्रशंसकों में थे।

ज्योतिबा फुले के महान पुस्तक ‘गुलामगिरी’

सन 1873 में महात्मा फुले ने ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की थी और इसी साल उनकी पुस्तक “गुलामगिरी” का प्रकाशन भी हुआ। दोनों ही घटनाओं ने पश्चिमी और दक्षिण भारत के भावी इतिहास और चिंतन को बहुत प्रभावित किया।

महात्मा फुले की किताब ‘गुलामगिरी’ बहुत कम पृष्ठों की एक किताब है, लेकिन इसमें बताये गये विचारों के आधार पर पश्चिमी और दक्षिणी भारत में बहुत सारे आंदोलन चले। उत्तर प्रदेश में चल रही दलित अस्मिता की लड़ाई के बहुत सारे सूत्र ‘गुलामगिरी’ में ढूंढ़े जा सकते हैं। आधुनिक भारत महात्मा फुले जैसी क्रांतिकारी विचारक का आभारी है।

ज्योतिबा फुले का निधन

1890 ई. महान् समाज सेवी ज्योतिबा फुले का देहांत हो गया 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ज्योतिबा फुले का जन्म कब और कहां हुआ था। 

11Aprail 1827 पुणे 

ज्योतिबा फुले का मृत्यु कब और कहां हुआ था। 

28 November 1890 पुणे 

ज्योतिबा फुले के पत्नी का क्या नाम है? 

सावित्री बाई 

ज्योतिबा फुले के माता पिता का क्या नाम है? 

बिमला बाई, गोबिंद राज फूले 

ज्योतिबा फुले ने स्कूल कब खोला था? 

1854

ज्योतिबा फुले के पुस्तक का क्या नाम है? 

गुलमगिरी 

ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि कब दिया गया? 

1888 ई 

ज्योतिबा फुले का पूरा नाम क्या है? 

महात्मा ज्योतिराव गोबिंद राव फूले 

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि मेरे टीम द्वारा लिखा गया यह जानकारी ज्योतिबा फुले का जीवनी आपको बहुत पसंद आया होगा इसे अधिक से अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर जरूर करें इससे संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए कमेंट बॉक्स में कमेंट अवश्य करें इस वेबसाईट पर प्रत्येक दीन कुछ नया जानकारी प्रदान करता हूं इसे फॉलो अवश्य करें जिससे सभी प्रकार के जानकारी आपको तुरंत मिल जाए। 


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