तू जिंदा है तो .... कविता गहरे जीवन राग और उत्साह को प्रकट करती है । इस जीवन राग में अतीत के दुखदाई पलों को भूलकर आशा और जीत की नई दुनिया का स्वागत करने की प्रेरणा है।
तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत में यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
ये गम के और चार दिन , सितम के और चार दिन
ये दिन भी जाएंगे गुजर, गुजर गए हजार दिन
कभी तो होगी इस चमन पर भी बहार की नजर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिंदा है तो....
सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूम कर
तू सुन जमीन गा रही है कब से झूम- झूम कर
तू आ मेरी सिंगार कर तू आ मुझे हसीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिंदा है तो....
हजार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे ना झलक सकी चली गई वह हार कर
नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिंदा है तो....
हमारे कारवां को मंजिलों का इंतजार है
ये आंधियों , ये बिजलियों की पीठ पर सवार है
तू आ कदम मिल के चल , चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिंदा है तो....
जमीं के पेट मे पली अगन, पले हैं जलजले
टीके न टीके सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये
मुसीबत के सर कुचल , चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिंदा है तो....
बुरी है आग पेट की , बुरे है दिल के दाग ये
न दब सकेंगे , एक दिन बनेंगे इंकलाब ये
गिरेंगे जुल्म के महल , बनेंगे फिर नवीन घर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिंदा है तो....
"शंकर शैलेन्द्"
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