भाई - बहन

 तू चिंगारी बनकर उड़ री , जाग - जाग मैं ज्वाला बनूं ,

तू  बन   जा   हहराती  गंगा ,  मै  झेलम  बेहाल  बनू ।

आज  बसंती  चोला तेरा , मै भी  सज  लू, लाल बनू ।

यहा  न  कोई  राजा  रानी , बृंदावन    बाशीवाला ।

तू  आंगन की ज्योतिष बहन री , मै घर का पहरेवाला ।

बहन - प्रेम का पुतला हूं मैं , तू ममता की गोद बनी , 

मेरा जीवन क्रीडा  कौतल , तू  प्रत्यक  प्रमोद  बनी ।

मैं  भाई  फूलो  में  भुला , मेरी  बहन  बिनोद  बनी ।

भाई की गति , मति भगिनी की , दानों मंगल - मोद बनी ।

यह  अपराध  कलंक  सुशील,  सारे  फूल  जला  देना ।

जननी की जंजीर बज रही , चल तबियत बहला लेना ।

भाई एक  लहर बन आया , बहन  नदी  की  धारा है ।

संगम है , गंगा उमरी  है ,  डूबा   कुल - किनारा  है ।

यह उन्माद , बहन  को  अपना भाई  एक  सहारा  है ।

यह अलमस्ती , एक बहन ही भाई का  ध्रुब  तारा  है ।

पागल घड़ी , बहन भाई  है ,  वह  आजाद  तराना  है ।

मुसीबतों  से , बलिदानों  से , पत्थर  को  समझाना  है ।

 



                        "  गोपाल सिंह नेपाली "



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