नवयुवक मशाल से मशाल को जला चलो
नारा इंकलाब इंकलाब यो का लगा चलो
पूंजीवादी का कला जहान कैद है किए
दस्ता की कील ठोक बेड़ियां लिए हुए
यह अमीर राज्य न्याय नीतियों के नाम पर
कैद कर रहा समाज के टके छदाम पर
बेजुबान है किसान वे मशीन कामगार
बेजुबान मां बहन के बदनसीब होनहार
पेट काट भूख मार गल गई जवानियां
हर कला बनी कुरूप प्रेत की कहानियां
एक साथ एक बार तोड़ कर गिरा चलो
नवयुवक मशाल से मशाल को जला चलो
बांट दो मशीन जो उसे चला सके
बांट दो कला की सभी जी सके जिला सके
तुम उठो की लड़खड़ा उठो करोड वेड़िया
एक साथ एक बार तोड़ कर गिरा चलो
नवयुवक मशाल से मशाल को जला चलो
रामप्रिय मिश्र "लालधुआ "
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