जय जन भारत जन मन अभिमत
जन गण तंत्र विधाता ।
गौरव पाल हिमाचल उज्जवल,
हृदय हार गंगाजल ।
कटी विंध्याचल सिंधु चरण तल ,
महिमा शाश्वत गाता ।
हरे खेत, लहरे नदी निर्झर
जीवन शोभा उर्वर
विश्व करमत कोटी बहु कर,
अगणित पद ध्रुव पथ पर ।
प्रथम सभ्यता ज्ञाता ,
शाम ध्वनित गुण गाता,
जय नब मानव निर्माता ,
सत्य अहिंसा दाता ।
जय हे जय हे जय हे ,शांति
अधिष्ठाता ।
जन गण तंत्र विधाता ।
सुमित्रानंदन पंत
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