बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है यही बिहार है जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था महावीर में शांति का संदेश यहीं से दिया था चंद्रगुप्त अशोक शेरशाह गुरु गोविंद सिंह वीर कुंवर सिंह देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म से बिहार में हुआ था बिहार में ही महात्मा गांधी ने चंपारण आंदोलन का बिगुल फूंका था बिहार में ही लोकगीत कार भिखारी ठाकुर का जन्म हुआ था ,

लेकिन वह वही बिहार आज कई तरह की समस्याओं का शिकार है यहां गरीबी बेरोजगारी भ्रष्टाचार तथा अशांति का माहौल है साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय है आज मैं आप लोगों को बिहार के अति पिछड़े होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण बताऊंगा जिसे जानकर आपको बहुत हैरानी होगी कि बिहार में कितनी तरह की समस्याओं का सामना लोगों को करना पड़ रहा है इसके बदले में सरकार इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा है इसलिए बिहार आज बाकी सभी राज्यों के मुकाबले में अति पिछड़ा राज्य में गिना जाता है।

बिहार के पिछड़ेपन के विशेष कारण

बिहार के पिछड़ेपन

तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या 

बिहार में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है इसके चलते विकास के लिए साधन कम हो जाते हैं अधिकांश साधन जनसंख्या के भरण-पोषण में चला जाता है तथा अधिकांश साधन संसाधनों के उत्पादन में चला जाता है इसलिए बिहार के विकास में जनसंख्या का विशेष कारण माना जाता है।

अधिकारिक संरचना का अभाव 

किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए आधारिक संरचना का होना जरूरी होता है लेकिन बिहार इस मामले में सबसे पीछे है राज्य में सड़क बिजली एवं सिंचाई सही तरह से सभी जगह उपलब्ध नहीं कराए गए हैं साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधा बहुत कम है यहां भ्रष्टाचारी नेताओं का काफी वर्चस्व बना हुआ है जिसके कारण इस राज्य की गिनती पिछड़े राज्य में किया जाता है।

कृषि पर निर्भरता

बिहार की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है यहां की अधिकांश जनता कृषि पर ही निर्भर है लेकिन हमारे कृषि भी का हालत ठीक नहीं है हमारे कृषि काफी पिछड़ी हुई है जिसके चलते उपज कम होता है अन्य राज्यों में कृषि के साथ-साथ अन्य सेवाओं पर भी लोग निर्भर रहते हैं जिसके चलते हैं वहां इससे बेहतर स्थिति उपलब्ध है।

बाढ़ तथा सूखा से क्षति 

बिहार में खासकर उत्तरी बिहार में नेपाल से आए जल से बाढ़ आती है हर साल कम या अधिक बाढ़ का आना बिहार में तय है इसी तरह सूखे की मार दक्षिणी बिहार को झेलनी पड़ती है हमारे किसान को अकाल जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है इस तरह बिहार बाढ़ तथा सूखा दोनों की चपेट में एक साथ लगातार रहता है।

औद्योगिक पिछड़ापन 

किसी भी देश या राज्य के लिए उद्योग का विकास जरूरी होता है लेकिन बिहार में औद्योगिक विकास कुछ दिखता ही नहीं है यहां के सभी खनिज क्षेत्र एवं बड़े उद्योग कहां प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी संस्थाएं सभी झारखंड में चले गए इस कारण बिहार में कार्यशील और औद्योगिक  इकाइयों की संख्या में कमी रह गई जिसके चलते यहां पर लोगों को अन्य राज्य में जाकर अपना कार्य शैली को गुजारना पड़ता है।

गरीबी

बिहार एक ऐसा राज्य है जहां गरीबी का भार काफी अधिक है प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के आधे से भी बहुत कम है इसके चलते विज्ञान पिछढा है बिहार में निर्धनता का दुष्चक्र मजबूत है। 

खराब विधि व्यवस्था 

किसी भी देश या राज्य के लिए शांति तथा व्यवस्था जरूर होना चाहिए लेकिन बिहार में वर्षों तक पूर्ण व्यवस्था कमजोर स्थिति में मौजूद है जिसके चलते नागरिक शांतिपूर्ण उद्योग नहीं चला पा रहा है इस तरह खराब विधि व्यवस्था भी बिहार के पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारण है।

कुशल प्रशासन का आभाव 

बिहार की प्रशासनिक स्थिति ऐसी हो गई है जिसमें पारदर्शिता का अत्यंत अभाव जिसके कारण आए दिन भ्रष्टाचार के अनेक मामला सामने आते रहता है यहां कुशल प्रशासन का अभाव के कारण लोगों को विधि व्यवस्था का ज्ञान अत्यंत मात्र है अशिक्षित और गरीब होने के कारण विधि व्यवस्था को भ्रष्टाचार की झोली में डालते आ रहे हैं इसलिए बिहार की पिछड़ेपन का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है। 

बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने का उपाय 

बिहार के पिछड़ेपन

आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए बिहार की स्थिति में सुधार किया जा सकता है बिहार में आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए बिहार के पिछड़ेपन को दूर करना काफी जरूरी है पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि बिहार के विकास के बिना भारत का विकास संभव नहीं है क्योंकि बिहार देश का एक बड़ा राज्य है और इसके विकास की गति में तेजी आने से भारत का विकास भी संभव होगा।  

बिहार में पिछड़ेपन को दूर करने के लिए निम्न नियम उपाय किए जा सकते हैं

जनसंख्या पर नियंत्रण

राज में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाया जाए परिवार नियोजन कार्यक्रम को लागू किया जाए इसके लिए राज्य की जनता एवं खास करके महिलाओं में शिक्षा का प्रचार किया जाए और कई ऐसे अन्य कारण है जिसके कारण जनसंख्या पर तेजी से नियंत्रण किया जा सकता है।

कृषि का तेजी से विकास

बिहार में कृषि जीवन का आधार है कृषि में नए यंत्रों का उपयोग किया जाए उत्तम खाद उत्तम बीज का उपयोग किया जाए ताकि उपज में वृद्धि लाई जा सके इस तरह किसी का तेजी से विकास कर बिहार का आर्थिक विकास किया जा सकता है।

बाढ़ पर नियंत्रण

बिहार के विकास में बाढ़ एक बहुत बड़ा बाधक है फसल का बहुत बड़ा भाग बाढ़ के चलते बर्बाद हो जाता है ।

जान माल की भी काफी क्षति होती है उत्तरी बिहार से  अधिकांश नदियां हिमालय से निकलती है इसलिए नेपाल सरकार के सहयोग से बाढ़ नियंत्रण को सफल बनाया जा सकता है दुर्भाग्य से बिहार का दूसरा भाग सूखे की चपेट में रहता है सिंचाई की पर्याप्त सुविधा को उपलब्ध कर इस दुखद स्थिति से छुटकारा पाया जा सकता है।

उद्योग का विकास 

बिहार से झारखंड के अलग होने से यह राज लगभग उद्योग विहीन  हो गया था मुख्यत: चीनी मिले बिहार के हिस्से में रह गई थी जो अधिकतर बंद पड़ी थी लेकिन विगत कुछ वर्षों से देश के विभिन्न भागों से तथा विदेशों से पूंजी निवेश लाने के अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं ताकि वर्तमान में निर्णय अवस्था के उद्योग का पुनर्विकास किया जाए इसके साथ ही उद्योग में बड़े-बड़े उद्योगपतियों को बिहार में उद्योग लगाने के लिए कुछ छूट दी जाए जिससे वह बिहार में उद्योग का कार्य शुरू कर सके। 

गरीबी दूर करना

 बिहार में गरीबी का सबसे अधिक प्रभाव है गरीबी रेखा के नीचे लगभग 42% से भी अधिक लोग यह जीवन बसर कर रहे हैं इसके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए इन्हें  प्रशिक्षण दिया जाए साथ ही उनके शिक्षा का भी का भी विशेष ध्यान रखा जाए जब तक शिक्षा का अभाव रहेगा बिहार में गरीबी दूर करना और असंभव होगा खासकर महिलाओं को इसके बारे में काफी गंभीरता से अग्रसर कराना होगा।

शांति व्यवस्था की स्थापना 

बिहार में शांति का माहौल कायम कर व्यापारियों में विश्वास जगाया जा सकता है तथा आर्थिक विकास की गति को तेज किया जा सकता है जिससे कोई भी व्यापारी या उद्योगपति बिहार में काम करने से तनिक भी ना घबराए यहां की विधि व्यवस्था को कायम रखने का पूरा कोशिश किया जाए जिससे उद्योगपति यहां आएंगे और गरीबों को रोजगार मिलेगा।

स्वच्छ तथा ईमानदारी प्रशासन 

बिहार के आर्थिक विकास के लिए स्वच्छ कुशल तथा ईमानदार प्रशासन का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होगा इसके लिए यहां के राज्य सरकारों को स्वच्छ तथा ईमानदारी प्रशासन को अंदर तक जगाना होगा जिससे लोगों को और उद्योगपतियों को किसी भी तरह का कार्य करने में कोई रुकावट महसूस ना हो।

केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों का हस्तांतरण 

बिहार के विकास के लिए केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों के हस्तांतरण की जरूरत है कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देकर उन्हें अधिक मात्रा में केंद्रीय सहायता दी जाती है। विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने के कारण पंजाब उत्तर-पूर्व के राज्यों को विशेष सहायता मिलती रही है।

बिहार आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा माना जाता है 15 नवंबर 2000 को बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद खनिज बहुल क्षेत्र झारखंड में चले गए और बिहार के पास केवल उर्वरक भूमि तथा कुछ ही उद्योग रह गए बिहार की अत्यधक जनसंख्या का कृषि पर निर्भरता सिंचाई की सुविधा का अभाव जनसंख्या में तेजी से वृद्धि तथा गरीबी जैसी अनेक समस्याएं यहां उपस्थित है अक्सर बिहार का उत्तरी भाग बाढ़ से तबाह रहता है तो दक्षिणी भाग सूखा से ग्रस्त रहता है इसलिए बिहार इन सभी कारणों की वजह से अपने आंतरिक संसाधनों की पूर्ति नहीं कर सकता बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग जोरों से की जा रही है इस संदर्भ में प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन सारे प्रयास विफल रही अब तक। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से राज्य को केंद्र के द्वारा विकास के मदद में अधिक सहायता तथा टैक्स में छूट मिलती है जिससे बिहार के विकास में गति आने की अत्यधिक संभावनाएं है।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि आप लोगों को बिहार के पिछड़ेपन के कारण का और निवारण का पूरी तरह से ज्ञान हो चुका है हम आशा करते हैं कि आपको यह आर्टिकल काफी पसंद आया होगा इसे अपने दोस्तों को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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