चलिए आज ऐसे ही कुछ कहानी के बारे में चर्चा करते हैं जो काफी मनोरंजन के लिए बेहद जरूरी है आज इस पोस्ट में अकबर और बीरबल की कुछ कहानियों के बारे में चर्चा करेंगे जिसके पढ़ने से आपके मनोरंजन का एक साधन और ज्ञान प्राप्त होगा तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं अकबर और बीरबल की हास्य कहानी
रेत से चीनी अलग करो की कहानी
बादशाह अकबर के दरबार की कार्रवाई चल रही थी तभी एक दरबारी हाथ में शीशे का एक मर्तबा ने लिए वह आया बादशाह अकबर ने उससे पूछा क्या है इस बर्तन में क्या है
वह बोला इसमें रहता और चीनी का मिश्रण है फिर अकबर ने पूछा वह इसलिए यहां लाए हो माफी चाहता हूं हुजूर दरबारी बोला हम बीरबल की काबिलियत को परखना चाहते हैं हम चाहते हैं कि रेत से चीनी का दाना दाना अलग करें,
बादशाह अब बीरबल से मुखातिब हुए देख लो बीरबल रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है वह मुस्कुराए और आगे बोले तुम्हें बिना पानी में बोले इस रेत में से चीनी को अलग करना है बीरबल बोला कोई समस्या नहीं है जाफना या तो मेरे लिए बाएं हाथ का खेल है।
कहकर बीरबल ने वह मर्तबान उठाया और चल दिया दरबार से बाहर।
बाकी दरबारी भी पीछे से बीरबल भाग में पहुंचकर रुका और मर्तबान से भरा सारा मिश्रा नाम के एक बड़े पेड़ के चारों और भी भेज दिया यह तुम क्या कर रहे हो एक दरबार ने पूछा
बीरबल बोला यह तुम्हें कल पता चलेगा
अगले दिन फिर वह सभी उस आम के पेड़ के निकट आ पहुंचे वहां अब केबल रेत दिखाई दे रहा था चीनी के सारे दाने चीटियां बटोर कर अपने बिलों में पहुंच चुकी थी कुछ चीटियां तो अभी भी जीने के दाने घसीट कर ले जाती दिखाई दे रही थी लेकिन सारी चीनी कहां चली गई एक दरबारी ने पूछा रेत से अलग हो गई बीरबल ने उसके कान में फुसफुस आते हुए कहा सभी जोरो से हंस पड़े
बादशाह अकबर को जब बीरबल की चतुराई ज्ञात हुई तो बोले अब तुम्हें चीनी ढूंढने है तो चीटियों के बिल में घुस ना होगा सभी दरबारियों ने जोरदार ठहाका लगाया और बीरबल का गुणगान करने लगा
बीरबल कहां मिलेगा की कहानी
एक दिन बीरबल बाग में टहलते हुए सुबह की ताजा हवा का आनंद ले रहा था तभी अचानक एक आदमी उसके पास आकर बोला क्या तुम मुझे बता सकती हो कि बीरबल कहां मिलेगा बीरबल बोला बाग में मिलेगा
वह आदमी थोड़ा सक पकाया लेकिन फिर संभल कर बोला वह कहां रहता है बीरबल ने जवाब दिया अपने घरों में रहता है
वह आदमी हैरान-परेशान होकर फिर से पूछा तुम मुझे उसका पूरा पता और ठिकाना क्यों नहीं बता देते,
बीरबल ने ऊंची स्वर में कहा क्योंकि तुमने पूछा ही नहीं
क्या तुम नहीं जानते कि मैं क्या पूछना चाहता हूं उस आदमी ने फिर से सवाल किया बीरबल का जवाब था नहीं
वह आदमी कुछ देर के लिए चुप हो गया बीरबल का टहलना जारी था उस आदमी ने सोचा कि मुझे इससे यह पूछना चाहिए कि तुम बीरबल को जानते हो वह फिर बीरबल के पास जा पहुंचा बस मुझे केवल इतना बता दो कि क्या तुम बीरबल को जानते हो
हां मैं जानता हूं जवाब मिला
तुम्हारा क्या नाम है आदमी ने पूछा
बीरबल ने उत्तर दिया बीरबल
अब वह आदमी भौचक्का रह गया वह बीरबल से इतनी देर से बीरबल का पता पूछ रहा था और बीरबल था कि बताने को तैयार है ना हुआ की वही बीरबल है उसके लिए यह बेहद आश्चर्य की बात थी
तुम भी क्या आदमी हो कता हुआ वह नाराज सा लग रहा था मैं तुमसे तुम्हारे ही बारे में पूछ रहा था और तुम ना जाने क्या-क्या उटपटांग बातें बना रहे हैं बताओ तुमने ऐसा क्यों किया
मैंने तो तुम्हारे सवालों का सीधा सीधा जवाब दिया बीरबल ने कहा
अंततः वह आदमी भी बीरबल की बुद्धि की क्षमता देख मुस्कुराई बिना रह ना सका।
बादशाह का सपना की कहानी
एक रात सोते समय बादशाह अकबर ने यह अजीव सपना देखा कि वह एक छोड़ कर उसके सभी बाकी दांत गिर गए हैं
फिर अगले दिन उन्होंने देश भर के विख्यात ज्योतिषियों व निजी मियां को बुला भेजा और उन्हें अपने सपने के बारे में बता कर उसका मतलब जानना चाहा।
सभी ने आपस में विचार विमर्श किया और एकमत होकर बादशाह से कहा जहांपनाह इसका अर्थ यह है कि आपके सारे नाते रिश्तेदार आपसे पहले ही मर जाएंगे यह सुनकर अकबर को बेहद क्रोध हो गया और उन्होंने सभी ज्योतिषियों को दरबार से चले जाने को कहा उनके जाने के बाद बादशाह ने बीरबल से सपने का मतलब बताने को कहा कुछ देर तक तो बीरबल सोच में डूबा रहा,
फिर बोला हुजूर आपके सपने का मतलब तो बहुत ही शुभ है इसका अर्थ है कि अपने नाते रिश्तेदारों की बीच आप ही सबसे अधिक समय तक जीवित रहेंगे बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह बेहद प्रसन्न हुआ बीरबल ने भी वही कहा था जो ज्योतिषियों ने कहा लेकिन कहने में अंतर था बादशाह ने बीरबल को इनाम देकर विदा किया।
कवि और धनवान आदमी की कहानी
एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाई की शायद वह धनवान खुश होकर कुछ इनाम देकर देगा लेकिन वह धनवान भी महा कंजूस था बोला तुम्हारी कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया तुम कल फिर आना मैं तुम्हें खुश कर दूंगा
कल शायद अच्छा इनाम मिलेगा ऐसी कल्पना करता हुआ वह कभी घर पहुंचा और सो गया अगले दिन वह फिर उस धनवान की हवेली में जा पहुंचा धनवान बोला सुनो कवि महाशय जैसे तुमने मुझे कविताएं सुनाकर खुश किया था उसी तरह मैं भी तुमको बुला कर खुश हूं तुमने मुझे कल कुछ भी नहीं दिया है इसलिए मैं भी कुछ नहीं दे रहा हिसाब बराबर हो गया।
कवि बेहद निराश हो गया उसने अपनी आपबीती एक मित्र को कह सुनाई और उस मित्र ने बीरबल को बता दिया सुनकर बीरबल बोला अब जैसा मैं कहता हूं वैसा करो तुम उस धनवान से मित्रता करके उसे खाने पर अपने घर बुलाओ हां अपने कभी मित्र को भी बुलाना मत बोलना मैं तो खैर वहां मौजूद रहूंगा ही
कुछ दिन बाद बीरबल की योजना अनुसार कवि के मित्र के घर दोपहर के भोज का कार्यक्रम तय हो गया नियत समय पर वह धनवान भी आ पहुंचा उस समय बीरबल कभी और कुछ अन्य मित्र बात चित्र में मशगूल थे समय गुजरता जा रहा था लेकिन खाने पीने का कहीं कोई नामोनिशान ना था वे लोग पहले की तरह बातचीत में व्यस्त थे धनवान की बेचैनी बढ़ती जा रही थी जब उस सराहना गया तो बोल ही पड़ा भोजन का समय तो अब हो चुका है क्या हम यहां खाने पर नहीं आए हैं
बीरबल ने पूछा खाना, कैसा खाना ?
धनवान को अब गुस्सा आ गया क्या मतलब है तुम्हारा क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नहीं बुलाया है खाने का कोई निमंत्रण नहीं था ,
यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था बीरबल ने जवाब दिया
धनवान का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया क्रोधित स्वर में बोला, यह सब क्या है इस तरह किसी इज्जत दार आदमी को बेइज्जत करना ठीक नहीं है तुमने मुझसे धोखा किया है।
बीरबल हंसता हुआ बोला यदि मैं कहूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं तो तुमने इश्क कभी से यही कह कर धोखा दिया था न कि कल आना है सो महीने भी कुछ ऐसा ही किया तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।
धनवान को अब अपनी गलती का आभास हुआ और उसने कभी को अच्छा ही नाम देकर वहां से विदा ली
वहां मौजूद सभी बीरबल को प्रशंसा भरी नजरों से देखने लगा
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है कि मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख अकबर बीरबल की कहानी आपको बहुत पसंद आया होगा इसे अधिक से अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर जरूर करें इसी प्रकार की और कहानी के लिए हमें फॉलो अवश्य करें
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