आज इस पोस्ट में जानेंगे अकबर और बीरबल की कहानी जिससे आपलोगो को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा , इसके साथ ही इसके सभी कहानी मे बुद्धि का परीक्षा लिया गया है साथ साथ इसका परिणाम भी बताया गया है तो चलिए बिना देर किए शुरू करते हैं अकबर और बीरबल की कहानी

अकबर और बीरबल के मजेदार कहानी
Akbar aur Birbal ki khani


गुरू ग्रन्थ अकबर बीरबल की कहानी


एक बार अकबर और बीरवल अपने बगीचे मे बैठे थे

तभी राजा अकबर ने बीरवल से कहा

अकबर – बीरवल ये बताओ की हमारी जनता हमारे बारे मे क्या सोचती है

बीरवल – महाराज इस बात का जबाब जनता से सही कोई नही दे सकता

बीरवल और राजा अकबर वेश बदलकर अपनी सलतान्त मे घुमने निकले

तभी दूर से जंगल मे से एक लकडहारा लकडी काट कर लेकर आ रहा था तो (राजा अकबर ने मन मे सोचा ये लकडहारा चोर है अब मे जंगल से लकडी चोरी के लिये इसे डन्ड दूँगा )

राजा अकबर ने बीरबल से कहाँ इस लकडहारे से पता करो मेरे बारे मे ये क्या सोचता है

बीरबल – सुनो लकडहारे हमारे राजा अकबर नही रहे

लकडहारा – अच्छा हुआ बो ना रहा और अकबर को बुरा भला कहता हुआ निकल गया

राजा अकबर दुखी होये की उनकी जनता उनके बारे मे ये सोचती है

तभी बीरवल ने कहा कि महाराज आप थोडा और रूकिये

तभी राजा अकबर को दूर से एक बुजूर्ग महिला आती दिखाई दी और उस बुजूर्ग महिला को देख कर राजा अकबर का मन दुखी हुआ

( राजा अकबर ने सोचा की बो उस महिला की मदद करेगेँ )

बीरबल ने उस महिला कहा की राजा अकबर नही रहे

तो बो महिला रोने लगी और कहने लगी हे भगबान राजा अकबर की जगह मुझे उठा लेते)

लकडहारा और बुजूर्ग महिला दोनो की बातो के बाद राजा अकबर को अपने सबाल का उत्तर मिल गया

दोस्तो कहानी का मतलब है हम जैसा सोचते है वैसा हमे मिलता हैै


पैसे की थैली किसकी अकबर बीरबल की कहानी


दरबार लगा हुआ था। बादशाह अकबर राज-काज देख रहे थे। तभी दरबान ने सूचना दी कि दो व्यक्ति अपने झगड़े का निपटारा करवाने के लिए आना चाहते हैं।

बादशाह ने दोनों को बुलवा लिया। दोनों दरबार में आ गए और बादशाह के सामने झुककर खड़े हो गए।

‘कहो क्या समस्या है तुम्हारी?’ बादशाह ने पूछा।

‘हुजूर मेरा नाम काशी है, मैं तेली हूं और तेल बेचने का धंधा करता हूं और हुजूर यह कसाई है।

इसने मेरी दुकान पर आकर तेल खरीदा और साथ में मेरी पैसों की भरी थैली भी ले गया। जब मैंने इसे पकड़ा और अपनी थैली मांगी तो यह उसे अपनी बताने लगा, हुजूर अब आप ही न्याय करें।’

‘जरूर न्याय होगा, अब तुम कहो तुम्हें क्या कहना है?’ बादशाह ने कसाई से कहा। ‘हुजूर मेरा नाम रमजान है और मैं कसाई हूं, हुजूर, जब मैंने अपनी दुकान पर आज मांस की बिक्री के पैसे गिनकर थैली जैसे ही उठाई, यह तेली आ गया और मुझसे यह थैली छीन ली। अब उस पर अपना हक जमा रहा है, हुजूर, मुझ गरीब के पैसे वापस दिला दीजिए।’

दोनों की बातें सुनकर बादशाह सोच में पड़ गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह किसके हाथ फैसला दें। उन्होंने बीरबल से फैसला करने को कहा।

बीरबल ने उससे पैसों की थैली ले ली और दोनों को कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया। बीरबल ने सेवक से एक कटोरे में पानी मंगवाया और उस थैली में से कुछ सिक्के निकालकर पानी में डाले और पानी को गौर से देखा।

 फिर बादशाह से कहा- ‘हुजूर, इस पानी में सिक्के डालने से तेल जरा-सा भी अंश पानी में नहीं उभार रहा है। यदि यह सिक्के तेली के होते तो यकीनन उन पर सिक्कों पर तेल लगा होता और वह तेल पानी में भी दिखाई देता।’

बादशाह ने भी पानी में सिक्के डाले, पानी को गौर से देखा और फिर बीरबल की बात से सहमत हो गए।

बीरबल ने उन दोनों को दरबार में बुलाया और कहा- ‘मुझे पता चल गया है कि यह थैली किसकी है। काशी, तुम झूठ बोल रहे हो, यह थैली रमजान कसाई की है।’

‘हुजूर यह थैली मेरी है।‘ काशी एक बार फिर बोला।

बीरबल ने सिक्के डले पानी वाला कटोरा उसे दिखाते हुए कहा- ‘यदि यह थैली तुम्हारी है तो इन सिक्कों पर कुछ-न-कुछ तेल अवश्य होना चाहिए, पर तुम भी देख लो… तेल तो अंश मात्र भी नजर नहीं आ रहा है।’

काशी चुप हो गया।

बीरबल ने रमजान कसाई को उसकी थैली दे दी और काशी को कारागार में डलवा दिया।


टेढा़ सवाल अकबर बीरबल की कहानी


एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल वन-विहार के लिए गए।

एक टेढे़ पेड़ की ओर इशारा करके बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा – यह दरख्त टेढा़ क्यों हैं?

बीरबल ने जवाब दिया- यह इसलिए टेढा़ हैं क्योंकि यह जंगल के तमाम दरख्तों का साला हैं।

बादशाह ने पूछा- तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?

बीरबल ने कहा- दुनिया में यह बात मशहूर हैं कि कुत्ते की दुम और साले हमेशा टेढे़ होते हैं।

बादशाह अकबर ने पूछा- क्या मेरा साला भी टेढा़ है?

बीरबल ने फौरन कहा- बेशक जहांपनाह!

बादशाह अकबर ने कहा फिर मेरे टेढे़ साले को फांसी चढा़ दो!

एक दिन बीरबल ने फांसी लगाने के तीन तख्ते बनवाए- ‘एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का।‘

उन्हें देखकर बादशाह अकबर ने पूछा- तीन तख्ते किसलिए?

बीरबल ने कहा- ‘गरीबनवाज, सोने का आपके लिए, चांदी का मेरे लिए और लोहे का तख्ता सरकारी साले साहब के लिए।

बादशाह अकबर ने अचरज से पूछा- मुझे और तुम्हे फांसी किसलिए?

बीरबल ने कहा- क्यों नहीं जहांपनाह, आखिर हम भी तो किसी के साले हैं।

बादशाह अकबर हंस पडे, सरकारी साले साहब के जान में जान आई। वह बाइज्जत बरी हो गया।


बीरबल और उसकी हाजिरजवाबी अकबर बीरबल की कहानी


एक दिन दरबार में अकबर ने बीरबल की हाज़िरजवाबी की बहुत प्रशंसा की. यह सब सुनकर उस मंत्री को बहुत गुस्सा आया. उसने महाराज से कहा कि यदि बीरबल मेरे तीन सवालों का उत्तर सही-सही दे देता है 

तो मैं उसकी बुद्धिमता को स्वीकार कर लुंगा और यदि नहीं तो इससे यह सिद्ध होता है की वह महाराज का चापलूस है. अकबर को मालूम था कि बीरबल उसके सवालों का जवाब जरूर दे देगा इसलिये उन्होंने उस मंत्री की बात स्वीकार कर ली.

उस मंत्री के तीन सवाल थे –

१. आकाश में कितने तारे हैं?

२. धरती का केन्द्र कहाँ है?

३. सारे संसार में कितने स्त्री और कितने पुरूष हैं?

अकबर ने फौरन बीरबल से इन सवालों के जवाब देने के लिये कहा, और शर्त रखी कि यदि वह इनका उत्तर नहीं जानता है तो मुख्य सलाहकार का पद छोडने के लिये तैयार रहे,

बीरबल ने कहा, “तो सुनिये महाराज”

पहला सवाल – बीरबल ने एक भेड मँगवायी. और कहा जितने बाल इस भेड के शरीर पर हैं आकाश में उतने ही तारे हैं. मेरे दोस्त, गिनकर तस्सली कर लो, बीरबल ने मंत्री की तरफ मुस्कुराते हुए कहा,

दूसरा सवाल – बीरबल ने ज़मीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया , फिर एक लोहे की छड मँगवायी गयी और उसे एक जगह गाड दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, “महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्व्यं जाँच लें”, महाराज बोले ठीक है अब तीसरे सवाल के बारे में कहो,

अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा मुश्किल है. क्योंकि इस दुनीया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरूषों की श्रेणी,उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि ये मंत्री जी।

महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दें तो मैं स्त्री-पुरूष की सही सही संख्या बता सकता हूँ. अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोडकर थर-थर काँपने लगे और महाराज से बोले,”महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया, मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूँ”।

महाराज हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हँसने लगे और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया।

अतः बीरबल जैसे चतुर लोगो के खिलाफ अगर कोई साजिस रचनी हो तो जरा सोच समझ ले कहीं बाद में पछताना न पड़े।


निष्कर्ष 

हमे उम्मीद है कि मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख अकबर बीरबल की कहानी आपको बहुत पसंद आया होगा इसे अधिक से अधिक लोगों तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर जरूर करें इसके साथ ही  आप हमें अवश्य बताएं की यह लेख आपको कैसा लगा ।



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