आज इस पोस्ट में जानेंगे कि अकबर और बीरबल के मजेदार चुटकुले के बारे मे, इसके सभी कहानी मे कुछ न कुछ सीखने को जरूर मिलता है , तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं अकबर और बीरबल की कहानी


अकबर और बीरबल की कहानी
अकबर और बीरबल की कहानी


अनोखा हिसाब अकबर बीरबल की कहानी


एक दिन बादशाह ने दरबार में प्रश्न रखा कि २७ में से नौ गए तो क्या बचा ? कुछ लोगों नें तो साधारण प्रश्न समझ कर जबाब दिया कि अठारह , कुछ लोग इसे कोई गूढ़ प्रश्न समझ कर चुप ही रहे ,इसी तरह जो आता उसी से यह प्रश्न पूछा जाता ,अंत में बीरबल आये तो उनसे भी पूछा गया कि २७ में से नौ गए तो क्या शेष रहा ? उन्होंने तुरंत जबाब दिया खाक ,

उनका अजीब सा जबाब सुनकर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ, बादशाह ने पूछा – कैसे ? बीरबल ने जबाब दिया – बर्ष में २७ नक्षत्र होते है, जिनमे से नौ नक्षत्र बर्षा के होते है , यदि वे न हों तो अन्न और धान्य के स्थान पर ख़ाक ही तो शेष रह जाएगा , उनका यह गूढ़ जबाब सभी ने स्वीकार किया ।


सबके मन की बात अकबर बीरबल की कहानी


एक बार दरबार में एक सभासद ने बादशाह अकबर से कहा – जहाँपनाह ! ऐसा कौन सा प्रश्न है ,जो हम नहीं बता सकते और बीरबल बता सकता है ?

बादशाह ने मन में सोचा कि इसको बीरबल से नीचा दिखाऊंगा , यह सोचकर उन्होंने कहा – अच्छा बताओ इस समय लोगों के मन में क्या है ?

वह सभासद बोला – हुजूर ! यह बात तो सिवाय खुदा के और कोई नहीं बता सकता ,बीरबल बता दें तो हम जाने ,

उसी समय बीरबल बुलाये गए , उनके सामने भी यही प्रश्न रखा गया, उन्होंने तुरंत ही कहा इस समय सबके मन में यही बात है कि यह दरबार सदा इसी तरह भरा रहे और बादशाह सलामत सदा जिंदा रहें ।

सभी ने उनकी बात को मान लिया , क्योंकि अस्वीकार करने पर मौत किसे बुलानी थी, बेचारा सभासद अपना सा मुँह लेकर रह गया, बादशाह अकबर जबाब को सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बीरबल को पुरस्कार भी दिया ।


यह हुजूर का दिया है, अकबर बीरबल की कहानी


सर्दियाँ ख़त्म हो रही थी और सूर्य की किरणों की गरमी बढ़ने लगी थी। माहौल बड़ा सुखद प्रतीत हो रहा था। ऐसे में बीरबल और अकबर अपने अपने घोडो पर सवार होकर कुदरत के नज़ारे देखने को निकल पड़े।

चारो और की सुन्दरता को देखकर बादशाह के मुंह से यह निकल पड़ा – भाई अस्क पेदार शूमस्त (शूमा हस्त)

इन शब्दों के दो अर्थ थे; पहला अर्थ फारसी में था की यह घोड़ा तुम्हारे बाप का है, और दूसरा अर्थ था “यह घोड़ा तुम्हारा बाप है”

बीरबल तुंरत समझ गए कि बादशाह क्या कहना चाहते है। वह बोले, “दाद-ए-हुजूरस्त”

इसका अर्थ था कि “यह हुजूर का दिया है”

बीरबल का जबाब सुनकर बादशाह के पास कहने को कुछ भी नही बचा था। जैसे को तैसा जवाब बीरबल ने दिया।


बीरबल की खिचड़ी अकबर बीरबल की कहानी


एक दफा शहंशाह अकबर ने घोषणा की कि यदि कोई व्यक्ति सर्दी के मौसम में नर्मदा नदी के ठंडे पानी में घुटनों तक डूबा रह कर सारी रात गुजार देगा उसे भारी भरकम तोहफ़े से पुरस्कृत किया जाएगा।

एक गरीब धोबी ने अपनी गरीबी दूर करने की खातिर हिम्मत की और सारी रात नदी में घुटने पानी में ठिठुरते बिताई और जहाँपनाह से अपना ईनाम लेने पहुँचा।

बादशाह अकबर ने उससे पूछा, तुम कैसे सारी रात बिना सोए, खड़े-खड़े ही नदी में रात बिताए? तुम्हारे पास क्या सबूत है?

धोबी ने उत्तर दिया, जहाँपनाह, मैं सारी रात नदी छोर के महल के कमरे में जल रहे दीपक को देखता रहा और इस तरह जागते हुए सारी रात नदी के शीतल जल में गुजारी।

बादशाह ने क्रोधित होकर कहा, “तो इसका मतलब यह हुआ कि तुम महल के दिए की गरमी लेकर सारी रात पानी में खड़े रहे और ईनाम चाहते हो। सिपाहियों इसे जेल में बन्द कर दो”

बीरबल भी दरबार में था। उसे यह देख बुरा लगा कि बादशाह नाहक ही उस गरीब पर जुल्म कर रहे हैं। बीरबल दूसरे दिन दरबार में हाज़िर नहीं हुआ, जबकि उस दिन दरबार की एक आवश्यक बैठक थी।

 बादशाह ने एक खादिम को बीरबल को बुलाने भेजा। खादिम ने लौटकर जवाब दिया, बीरबल खिचड़ी पका रहे हैं और वह खिचड़ी पकते ही उसे खाकर आएँगे।

जब बीरबल बहुत देर बाद भी नहीं आए तो बादशाह को बीरबल की चाल में कुछ सन्देह नजर आया। वे खुद तफ़तीश करने पहुँचे। बादशाह ने देखा कि एक बहुत लंबे से डंडे पर एक घड़ा बाँध कर उसे बहुत ऊँचा लटका दिया गया है और नीचे जरा सा आग जल रहा है। पास में बीरबल आराम से खटिए पर लेटे हुए हैं।

बादशाह ने तमककर पूछा, “यह क्या तमाशा है? क्या ऐसी भी खिचड़ी पकती है?”

बीरबल ने कहा, “ माफ करें, जहाँपनाह, जरूर पकेगी। वैसी ही पकेगी जैसी कि धोबी को महल के दिये की गरमी मिली थी”

बादशाह को बात समझ में आ गई। उन्होंने बीरबल को गले लगाया और धोबी को रिहा करने और उसे ईनाम देने का हुक्म दिया।


मासूम सज़ा अकबर बीरबल की कहानी


एक दिन बादशाह अकबर ने दरबार में आते ही दरबारियों से पूछा, किसी ने आज मेरी मूंछें नोचने की जुर्रत की। उसे क्या सज़ा दी जानी चाहिए।

दरबारियों में से किसी ने कहा उसे सूली पर लटका देना चाहिए, किसी ने कहा उसे फांसी दे देनी चाहिए, किसी ने कहा उसका गर्दन धड़ से तत्काल उड़ा देना चाहिए।

बादशाह नाराज हुए। अंत में उन्होंने बीरबल से पूछा, बीरबल, तुमने कोई राय नहीं दी

“जहाँपनाह, खता माफ हो, इस गुनहगार को तो सज़ा के बजाए उपहार देना चाहिए”, बीरबल ने जवाब दिया।

बादशाह हौले से मुसकराए और बोले, क्या मतलब?

“जहाँपनाह, जो व्यक्ति आपकी मूँछें नोचने की जुर्रत कर सकता है वह आपके शहजादे के सिवा कोई और हो ही नहीं सकता जो आपकी गोद में खेलता है। गोद में खेलते-खेलते उसने आज आपकी मूँछें नोच ली होंगी। उस मासूम को उसकी इस जुर्रत के बदले मिठाई खाने की मासूम सज़ा दी जानी चाहिए”, बीरबल ने खुलासा किया।

बादशाह ने ठहाका लगाया और दरबारी बगलें झांकने लगे।


सारा जग बेईमान अकबर बीरबल की कहानी


एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल से शान से कहा, बीरबल! हमारी जनता बेहद ईमानदार है और हमें कितना बहुत प्यार करती है

बीरबल ने तुरन्त उत्तर दिया, ’‘बादशाह सलामत! आपके राज्य में कोई भी पूरी तरह ईमानदार नहीं है, न ही वो आपसे ज्यादा प्यार करती है।“

यह तुम क्या कह रहे हो बीरबल?

मैं अपनी बात को साबित कर सकता हूं बादशाह सलामत!

‘‘ठीक है, तुम हमें साबित करके दिखाओ’‘ बादशाह अकबर बोले

बीरबल ने नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि बादशाह सलामत एक भोज करने जा रहे हैं। उसके लिए सारी प्रजा से अनुरोध है कि कल सुबह दिन निकलने से पहले हर आदमी एक-एक लोटा दूध डाल दे। कडाहे रखवा दिये गये हैं। उनमें हर आदमी दूध डाल जाये। हर आदमी ने यही सोचा कि जहां इतना दूध इकट्ठा होगा, वहां उसके एक लोटे पानी का क्या पता चलेगा? अत: हर आदमी कड़ाहों में पानी डाल गया।

सुबह जब अकबर ने उन कड़ाही को देखा जिनमें जनता से दूध डालने को कहा गया था, तो दंग रह गये। उन कड़ाहों में तो केवल सफेद पानी था। अकबर को वस्तुस्थिति का पता चल गया।


आदमी एक रूप तीन अकबर बीरबल की कहानी


एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, “क्या तुम हमें तीन तरह की खूबियां एक ही आदमी में दिखा सकते हो?”

“जी हुजूर, पहली तोते की, दूसरी शेर की, तीसरी गधे की। परन्तु आज नहीं, कल।“ बीरबल ने कहा।

“ठीक है, तुम्हें कल का समय दिया जाता है”, बादशाह ने इजाजत देते हुए कहा।

अगले दिन बीरबल एक व्यक्ति को पालकी में डालकर लाया और उसे पालकी से बाहर निकाला। फिर उस आदमी को शराब का एक पैग दिया। शराब पीकर वह आदमी डरकर बादशाह से विनती करने लगा- “हुजूर! मुझे माफ कर दो। मैं एक बहुत गरीब आदमी हूं।“ बीरबल ने बादशाह को बताया, “यह तोते की बोली है”

कुछ देर बाद उस आदमी को एक पैग और दिया तो वह नशे में बादशाह से बोला, “अरे जाओ, तुम दिल्ली के बादशाह हो तो क्या, हम भी अपने घर के बादशाह हैं। हमें ज्यादा नखरे मत दिखाओ”

बीरबल ने बताया, “यह शेर की बोली है”, कुछ देर बाद उस आदमी को एक पैग और दिया तो वह नशे में एक तरफ गिर गया और नशे में ऊटपटांग बड़बड़ाने लगा।

बीरबल ने उसे एक लात लगाते हुए बादशाह से कहा, “हुजूर! यह गधे की बोली है”

बादशाह बहुत खुश हुए। उन्होंने बीरबल को बहुत-सा इनाम दिया।


निष्कर्ष 


हमे उम्मीद है कि मेरे टीम द्वारा लिखा गया यह पोस्ट अकबर और बीरबल की मजेदार कहानी आपको बहुत पसंद आया होगा यदि इससे संबंधित किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट करके अवश्य बताएं इसके साथ ही इसे अधिक से अधिक सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर शेयर जरूर करें साथ ही हमे अवश्य बताएं कि यह लेख आपको कैसा लगा।

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