चलिए आज हम लोग उधम सिंह के संपूर्ण जीवन का परिचय के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं जो की भारत को आजादी दिलाने के अपने खून का बलिदान दे दिया,इनके बचपन में ही माता पिता का देहांत हो गया इन्होंने अपने आप को संभालते हुए भारत माता के लिए जान की बलि चढ़ा दी , इन्हे 13 अप्रैल की घटना अंग्रेजो के खिलाफ बगावत करने के लिए मरबुर कर दिया,

 इसके बाद उन्होंने कई प्रकार के महत्वपूर्ण घटना का अंजाम दिया और भारत का एक वीर सुपुत्र ने इसके लिए अपने जान की बलि चढ़ा दी तो आगे आपको इस लेख मे कई प्रकार जानकारी से अवगत कराएंगे उम्मीद है कि इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ेंगे जिससे इस महान आत्मा के जीवन से प्रेरणा प्राप्त करेंगे तो चलिए बिना देर किए शुरू करते हैं उधम सिंह के जीवनी 

उधम सिंह का जीवनी

उधम सिंह का जन्म

26 दिसंबर 1899 को सुनाम गाँव, पंजाब

उधम सिंह का निधन

31 जुलाई 1940 को ब्रिटेन में फाँसी

उधम सिंह को प्राप्त उपलब्धि

ऊधम सिंह ने अपना नाम राम मोहम्मद आज़ाद सिंह रख लिया और जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के उत्तरदायी माइकल ओ’डायर को गोली मार कर उसकी हत्या कर दी।

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उधम सिंह के जीवन परिचय

ऊधम सिंह भारत की आज़ादी की लड़ाई में अहम योगदान करने वाले पंजाब के महान् क्रान्तिकारी थे। अमर शहीद ऊधम सिंह ने 13 अप्रैल, 1919 ई. को पंजाब में हुए भीषण जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के उत्तरदायी माइकल ओ’डायर की लंदन में गोली मारकर हत्या करके निर्दोष भारतीय लोगों की मौत का बदला लिया था।

ऊधम सिंह का प्रारंभिक जीवन 

ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 में पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम गाँव में हुआ। ऊधमसिंह की माता और पिता का साया बचपन में ही उठ गया था। उनके जन्म के दो साल बाद 1901 में उनकी माँ का निधन हो गया और 1907 में उनके पिता भी चल बसे। ऊधमसिंह और उनके बड़े भाई मुक्तासिंह को अमृतसर के खालसा अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। 1917 में उनके भाई का भी निधन हो गया। 

इस प्रकार दुनिया के ज़ुल्मों सितम सहने के लिए ऊधमसिंह बिल्कुल अकेले रह गए। इतिहासकार वीरेंद्र शरण के अनुसार ऊधमसिंह इन सब घटनाओं से बहुत दु:खी तो थे, लेकिन उनकी हिम्मत और संघर्ष करने की ताक़त बहुत बढ़ गई। उन्होंने शिक्षा ज़ारी रखने के साथ ही आज़ादी की लड़ाई में कूदने का भी मन बना लिया। उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन को ऐसे घाव दिये,

 जिन्हें ब्रिटिश शासक बहुत दिनों तक नहीं भूल पाए। इतिहासकार डॉ. सर्वदानंदन के अनुसार ऊधम सिंह ‘सर्व धर्म सम भाव’ के प्रतीक थे और इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद आज़ाद सिंह रख लिया था जो भारत के तीन प्रमुख धर्मो का प्रतीक है।

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उधम सिंह के द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन

स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में सन् 1919 का 13 अप्रैल का दिन आँसुओं में डूबा हुआ है, जब अंग्रेज़ों ने अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में सभा कर रहे निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलायीं और सैकड़ों बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार दिया। मरने वालों में माँओं के सीने से चिपके दुधमुँहे बच्चे, जीवन की संध्या बेला में देश की आज़ादी का सपना देख रहे बूढ़े और देश के लिए सर्वस्व लुटाए को तैयार युवा सभी थे। इस घटना ने ऊधमसिंह को हिलाकर रख दिया और उन्होंने अंग्रेज़ों से इसका बदला लेने की ठान ली,

हिन्दू, मुस्लिम और सिख एकता की नींव रखने वाले ‘ऊधम सिंह उर्फ राम मोहम्मद आज़ाद सिंह’ ने इस घटना के लिए जनरल माइकल ओडायर को ज़िम्मेदार माना जो उस समय पंजाब प्रांत का गवर्नर था। गवर्नर के आदेश पर ब्रिगेडियर जनरल रेजीनल्ड एडवर्ड हैरी डायर ने 90 सैनिकों को लेकर जलियांवाला बाग़ को चारों तरफ से घेर कर मशीनगन से गोलियाँ चलवाईं।

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उधम सिंह के द्वारा माइकल ओ’डायर की हत्या

इस के बाद घटना ऊधमसिंह ने शपथ ली कि वह माइकल ओ’डायर को मारकर इस घटना का बदला लेंगे। अपने मिशन को अंजाम देने के लिए ऊधमसिंह ने अलग अलग नामों से अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्राएँ की। सन् 1934 में ऊधमसिंह लंदन गये और वहाँ 9 एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड़ पर रहने लगे। वहाँ उन्होंने यात्रा के उद्देश्य से एक कार ख़रीदी और अपना मिशन पूरा करने के लिए छह गोलियों वाली एक रिवाल्वर भी ख़रीद ली। 

भारत का यह वीर क्रांतिकारी माइकल ओ’डायर को ठिकाने लगाने के लिए सही समय का इंतज़ार करने लगा। ऊधमसिंह को अपने सैकड़ों भाई बहनों की मौत का बदला लेने का मौक़ा 1940 में मिला। जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को ‘रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी’ की लंदन के ‘कॉक्सटन हॉल’ में बैठक थी जहाँ माइकल ओ’डायर भी वक्ताओं में से एक था।

ऊधमसिंह उस दिन समय से पहले ही बैठक स्थल पर पहुँच गए। उन्होंने अपनी रिवाल्वर एक मोटी सी किताब में छिपा ली। उन्होंने किताब के पृष्ठों को रिवाल्वर के आकार में इस तरह से काट लिया, जिसमें डायर की जान लेने वाले हथियार को आसानी से छिपाया जा सके। बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए ऊधमसिंह ने माइकल ओ’डायर पर गोलियाँ चला दीं। दो गोलियाँ डायर को लगीं, जिससे उसकी तुरन्त मौत हो गई। गोलीबारी में डायर के दो अन्य साथी भी घायल हो गए। ऊधमसिंह ने वहाँ से भागने की कोशिश नहीं की और स्वयं को गिरफ़्तार करा दिया। 

उन पर मुक़दमा चला। अदालत में जब उनसे सवाल किया गया कि ‘वह डायर के साथियों को भी मार सकते थे, किन्तु उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया।‘ इस पर ऊधमसिंह ने उत्तर दिया कि, वहाँ पर कई महिलाएँ भी थीं और भारतीय संस्कृति में महिलाओं पर हमला करना पाप है। अपने बयान में ऊधमसिंह ने कहा- ‘मैंने डायर को मारा, क्योंकि वह इसी के लायक़ था। मैंने ब्रिटिश राज्य में अपने देशवासियों की दुर्दशा देखी है। मेरा कर्तव्य था कि मैं देश के लिए कुछ करूं। मुझे मरने का डर नहीं है। देश के लिए कुछ करके जवानी में मरना चाहिए।‘ 

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उधम सिंह को फांसी 

4 जून 1940 को ऊधम सिंह को डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई, 1940 को उन्हें ‘पेंटनविले जेल’ में फाँसी दे दी गयी। इस प्रकार यह क्रांतिकारी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में अपनी शहादत देकर अमर हो गय को ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को सौंप दिए थे। ऊधम सिंह की अस्थियाँ सम्मान सहित भारत लायी गईं। उनके गाँव में उनकी समाधि बनी हुई है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उधम सिंह का जन्म कब और कहां हुआ था? 

16 dec 1899 पंजाब 

उधम सिंह का मृत्यू कब और कहां हुआ था?

31 जुलाई 1940 ब्रिटेन 

उधम सिंह का उपनाम क्या है? 

राम मोहम्मद आजाद सिंह

उधम सिंह का माता पिता का क्या नाम है? 

 नारायण कौर तेहर सिंह 

उधम सिंह ने किसकी हत्या की थी? 

माइकल ओ डायर है 

उधम सिंह के समाधि कहा लाया गया था? 

सुनाम गांव पंजाब 

उधम सिंह के जाती क्या था?  

 कम्बोज 

उधम सिंह ने गोली कब और किसे मारी? 

13 मार्च 1940, माइकल ओ डायर 

उधम सिंह का मृत्यु कैसे हुई? 

ब्रिटेन में फांसी दे दिया गया  

उधम सिंह को फांसी कहा दिया गया था? 

पेंटलविले जेल में ब्रिटेन  

उधम सिंह के बचपन का नाम क्या है? 

शेर सिंह

उधम सिंह के भाई का नाम क्या है? 

मुक्ता सिंह 

उधम सिंह का बलिदान दिवस कब मनाया जाता है? 

31 जुलाई 

निष्कर्ष

हमे उम्मीद है कि मेरे टीम द्वारा लिखा गया यह जानकारी उधम सिंह का जीवनी आपको बहुत पसंद आया होगा इससे संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर जानने के हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट अवश्य करें इसके साथ ही इसे अधिक से अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर जरूर करें 

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