छोटा बांस , बड़ा बांस

एक दिन अकबर और बीरबल बाद में टहल रहे  थे।बीरबल  लतीफा  सुन रहा था और अकबर उसका मजा ले रहे थे । तभी अकबर को नीचे घास पर पड़ा मांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया उन्होंने बीरबल की परीक्षा लेने की सोची।

बीरबल को मांस का टुकड़ा दिखाते हुए  बोला , क्या तुम इस बात के टुकड़े को बिना  काटे छोटा कर सकते हो?

 

बीरबल लतीफा सुनता सुनता रुक गया और अकबर की आंखों में झांका ।

अकबर कुटिलता से मुस्कुराए,  बीरबल समझ गया कि बादशाह सलामत उससे मजाक करने के मूड में है।


अब जैसा बेसिर पैर का सवाल था तो उसका जवाब भी वैसा ही होना चाहिए था।

 बिरबल ने इधर उधर देखा , एक माली हाथ में लंबा बस लेकर जा रहा था।


उसके पास जाकर बीरबल ने वह बांस  अपने दाएं हाथ में ले लिया बादशाह को दिया छोटा बॉस का टुकड़ा बाएं हाथ में।


बीरबल बोला हुजूर अब देखो इस टुकड़े को, हो गया न बिना कांटे ही छोटा।

बड़े बांस के सामने हुआ टुकड़ा छोटा तो देखना ही था।

निरंतर बादशाह अकबर मुस्कुरा उठे बीरबल की चतुराई देखकर ।

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