एक ही बात है

 बादशाह अकबर को सूरत शहर तनिक नहीं भाता था लेकिन राजपाट के कार्यों को करने के लिए उन्हें अक्सर सूरत जाना पड़ता था, वहां पहुंचने के बाद बीरबल किया जिम्मेदारी हो जाती थी कि बादशाह का मन बनाए रखें मैं किसी भी तरह से उदास ना होने दें।

एक दिन बादशाह ने उसे कुछ स्वांग भरने को कहा ।

सुनकर बीरबल वहां से चला गया उसने बर्थडे से कपड़े पहने और एक गधा अपने साथ ले लिया गधे को लेकर टिप टिप टिप टिप की आंख आंख का बीरबल उसी राह पर बढ़ चला जिस पर बादशाह चले आ रहे थे। 

विपरीत दिशा से एक आदमी को गधे के साथ आप आदेश बादशाह क्रोधित होकर बोले

तुम अपने गले के साथ सड़क के किनारे होकर क्यों नहीं चलते?

गधा साथ लिए बीरबल हंसकर बोला मैं इतनी देर से अपने गधे को यही समझा रहा हूं इस सड़क पर ढंग से चलाएं हो सकता है सामने से कोई दूसरा गधा आ जाए तब क्या होगा?  

बादशाह ने खुलकर गधे वाले को देखा और बिना कुछ बोले चुपचाप आगे बढ़ गए क्योंकि वह समझ चुके थे सिवा कोई नहीं बीरबल ही है 

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