बीरबल का गुरु

 1 दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा बीरबल जब तुम इतने चतुर और बुद्धिमान हो तो तुम्हारे गुरु भी कुछ कम नहीं हुई है मैं उनसे मिलना चाहता हूं।

बीरबल चुप लगा गया क्योंकि उसका कोई गुरु था ही नहीं।

फिर कुछ देर सोचने के बाद वह बोला बंदा परवर मेरे गुरु यहां नहीं है वह तीर्थ यात्रा पर हिमालय की ओर गए हुए हैं मुझे नहीं मालूम कि वह अब कब लौटेंगे।

मुझे कुछ नहीं सुनना है मुझे तुम्हारे ग्रुरु से मिलना है और 1 महीने के भीतर तुम उन्हें यहाँ आ लेकर आओगै। बादशाह ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।

बेचारा बीरबल सोचने लगा कि कैसे इस समस्या से छुटकारा पाया जाए वास्तविकता तो या थे कि बीरबल का कोई गुरु नहीं था, लेकिन बादशाह के हुक्म का पालन करना भी जरूरी था अंततः उसे एक उपाय शूज ही गया उसने एक गड़रिए को बुलाया । उसे 100 सोने के सिक्के दिए और साथ ही कुछ समझाया गड़रिए जब राजी हो गया तो बीरबल ने उसके चेहरे पर लंबी सफेद दाढ़ी मूछ चिपका दी और उसे भगवा बस पढ़ने को दिए ।

अब गडरिया किसी साधु जैसा लग रहा था।

बीरबल ने उसे ले जाकर एक मंदिर में तपस्या करने की मुद्रा में बैठने को कहा उसके हाथ में मानकों की एक माला भी थमा दिया । दया निर्देश विद्या की बादशाह के किसी भी सवाल का जवाब नहीं देना है यदि बादशाह उसे कुछ उपहार देना चाहे तो इशारों में ही उसे लेने से इंकार कर दें अंत में उसने यह ताकीद भी कर दी कि यदि उसने एक भी शब्द मुंह से निकाला तो उसकी पोल खुल जाएगी और यदि ऐसा हुआ तो उसे फांसी लगना निश्चित है।

यह सुनकर गडरिया डर गया चुकी वह  सिक्के के सोने ले चुके थे बीरबल को इनकार भी ना कर सका। 

अब बीरबल सीधा बादशाह के पास गया और उन्हें बताया कि उसके गुरु आ गए हैं यह सुनते ही बादशाह तुरंत ही बीरबल के साथ मंदिर की ओर चलने को तैयार हो गए मंदिर में पहुंचकर उन्होंने गुरु का अभिवादन किया और कहा कि मैं कुछ देर आपसे बात करना चाहता हूं लेकिन बीरबल के गुरु चुप ही रहे एक शब्द भी ना बोले।

गुरु को चुप देख बादशाह ने सोचा शायद उन्हें कुछ भेंट या धन की आवश्यकता है तब उन्होंने सोने के सिक्के से भरी थैली बीरबल के गुरु के सामने रख दी ।

लेकिन गुरु ने उसकी ओर देखा तक नहीं और संकेतों में ही कहा कि वह उसे लेकर यहां से चले जाए।

इसे अपमान समझ बादशाह क्रोध में भरे अपने माल में लौट आए और बीरबल से बोला मुझे बताओ कि किसी मुख से मिलकर कोई क्या करें।

ऐसे में तो चुप लगा जाने में ही भलाई है हुजूर बीरबल ने जवाब दिया।

सुनकर अकबर भोजक रह गए पुणे लगाकर बीरबल के गुरु ने उन्हें मूर्ख समझा होगा शायद यही कारण था कि जो वह एक शब्द भी नहीं बोले बादशाह को यह भी लगा कि ग्रुप और धन का लोग दिखा कर उन्होंने गलती की थी । 


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