चलिए आज इस लेख में प्रोटोकॉल क्या है प्रोटोकॉल कैसे काम करता है प्रोटोकॉल से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी इस लेख में देखने को मिलेंगे उम्मीद है कि इसको शुरू से लेकर अंत तक आवश्यक पड़ेंगे इसके साथ ही इससे संबंधित किसी भी प्रकार के डाउट को क्लियर करने के लिए हमें कमेंट करके अवश्य बताएं दरअसल आप लोगों ने जब भी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है,
तब आप लोगों ने प्रोटोकॉल के बारे में जरूर सुना होगा क्योंकि प्रोटोकॉल के मदद से ही इंटरनेट चलाना आसान होता है आजकल ऑनलाइन के जमाने में यदि किसी व्यक्ति को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डाटा भेजना होता है तो उसे प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है बिना प्रोटोकॉल के इंटरनेट का कोई अस्तित्व नहीं है,
क्योंकि इसी के सहायता से हम लोग अपनी बड़ी से बड़ी फाइल और छोटी से छोटी फाइल एक जगह से दूसरी जगह किसी भी कंप्यूटर में आसानी से भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं यार रहे इंटरनेट प्रोटोकॉल के बारे में छोटी सी जानकारी और अधिक जानकारी के लिए इसे शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें तो चलिए विना देर किए शुरू करते हैं प्रोटोकॉल क्या है प्रोटोकॉल कितने प्रकार का होता है।
Protocol क्या है - what is protocol in Hindi
Protocol एक प्रकार का नियमों का समूह होता है जिसका इस्तेमाल दो कंप्यूटर के बीच डाटा को कम्युनिकेट करने के लिए किया जाता है तथा कंप्यूटर नेटवर्क पर किसी भी प्रकार के डाटा को ट्रांसमिट करने के लिए या जाता है कंप्यूटर में प्रोटोकोल को डिजिटल लैंग्वेज के नाम से भी जाना जाता है इसके बिना हम इंटरनेट पर एक दूसरे से किसी भी प्रकार का कनेक्शन नहीं कर सकते इसके साथ ही इसी प्रकार के डाटा को ट्रांसफर भी नहीं कर सकते इंटरनेट पर सेंड और रिसीव किए गए फाइल ईमेल डाटा इंटरनेट प्रोटोकॉल के अनुसार होता है।
इन्हे भी पढ़े:- इन्टरनेट protocol क्या है इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
दरअसल प्रोटोकॉल का नियम बहुत ही सुरक्षित और नियत समय के लिए होता है क्योंकि जब भी हम किसी भी प्रकार के डाटा को ट्रांसफर करते हैं तो यह डाटा जहां ट्रांसफर किए जा रहे हैं वहां पर सुरक्षित रूप से पहुंचाने का कार्य प्रोटोकॉल के द्वारा किया जाता है जिससे डाटा लीक होने का खतरा कम रहता है और उसे पढ़ने में भी आसानी होती है एक उदाहरण के तौर पर इसे समझते हैं जैसे मान लीजिए कि हम लोगों को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा एक कानून तैयार किया गया है,
जिसके तहत हम लोग अपना अपना कार्य करते हैं और कानून का उल्लंघन नहीं करते रंगन करने पर भारी जुर्माना देना पड़ता है और हम लोग अपना अपना कार्य कानून के सीमा के अंदर रहकर आसानी से कर पाते हैं ठीक उसी प्रकार नेटवर्क प्रोटोकोल के सहायता से हम लोग इंटरनेट पर सुरक्षित तरीका से सभी प्रकार के क्रियाकलापों को आसानी से करते हैं और ट्रांसमिशन की प्रक्रिया को पूरी करते हैं इसमें डाटा को safe send करने के लिए बहुत प्रकार के प्रोटोकॉल का निर्माण किया गया है,
जिसके बारे में आगे चलकर जानकारी प्राप्त होगी वही इस प्रोटोकॉल का निर्माण कंप्यूटर के अलग-अलग क्षेत्रों में कंप्यूटर को हम लोगों को आसानी से समझ में आने के लिए नेटवर्क प्रोटोकोल का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कंप्यूटर की लैंग्वेज को समझना हम लोगों के बस की बात नहीं है तो इसके लिए एक अलग प्रोटोकॉल का निर्माण किया गया है डाटा ट्रांसफर के लिए एक अलग प्रोटोकॉल का निर्माण किया गया अलग-अलग तरह के कंप्यूटर कार्य के लिए अलग-अलग प्रकार के प्रोटोकॉल का निर्माण किया गया है।
Protocol का इतिहास history of protocol in Hindi
प्रोटोकॉल का निर्माण 1970 के आसपास किया गया था इन्हें निर्माण करने का मुख्य उद्देश्य कंप्यूटर के कार्यों को आसानी से समझना और कंप्यूटर के कार्य के लिए समय बचाना इसके बाद ग्लोबल मल्टीमीडिया इनफार्मेशन तथा कम्युनिकेशन सिस्टम का अविष्कार किया गय और फिर हजारों लाखों मोबाइल और कंप्यूटर और लैपटॉप को एक दूसरे के साथ कनेक्ट करने का कार्य किया।
Protocol का निर्माण किसने किया ?
प्रोटोकॉल का निर्माण vint cerf और robert e Kahn के द्वारा किया गया है इस के अविष्कार के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों इंटरनेट के विशेष योगदान के लिए कई प्रकार के अवार्ड भी दिया गया था रॉबर्ट एक अमेरिकी इंजीनियरिंग है जो इंटरनेट प्रोटोकॉल को विकसित किया प्रोटोकॉल का सबसे मुख्य इंटरनेट प्रोटोकॉल है जिसके जरिए डाटा को कम्युनिकेट किया जाता है।
इन्हे भी पढ़े:- इन्टरनेट क्या है इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
Protocol कितने प्रकार के होते हैं?
प्रोटोकॉल कई प्रकार के होते हैं जो नीचे लिखें कथनों में उल्लेखित है चलिए इसे एक-एक करके समझने का प्रयत्न करते हैं।
Internet protocol (IP)
इंटरनेट प्रोटोकॉल का दूसरा नाम आईपी एड्रेस है जिसके द्वारा हम किसी भी कंप्यूटर को एक दूसरे के साथ कनेक्ट करके डाटा ट्रांसफर करने के लिए करते हैं इसमें खास बात यह है कि डाटा सेंड करने वाले कंप्यूटर का एक अलग ip-address होता है और डाटा रिसीव करने वाले कंप्यूटर का भी एक अलग ip-address होता है,
जिसके द्वारा एक कंप्यूटर दूसरे कंप्यूटर को आसानी से पहचान पाता है और डाटा को सही सलामत सही जगह पर आसानी से पहुंचा पाता है दरअसल यह कई भागों में कार्य करता है प्रत्येक भागों में विभाजित हो जाता है और अलग-अलग ip-address वाले स्थान पर पहुंच जाते हैं और सही ip-address को रीड कर लेता है।
User datagram protocol (UDP)
यूजर डाटा ग्राम प्रोटोकोल ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल के तरह कार्य करता है परंतु इसकी तुलना में इसकी कैपेबिलिटी बहुत कम होती है यह बहुत ही छोटे साइज के डाटा को ट्रांसमिट करने के लिए सक्षम होता है यह कई प्रकार के डाटा में विभाजित हो जाता है और डाटा को खो देता है फिर इसे रीजेनरेट करने की क्षमता नहीं होती है यह इंटरनेट प्रोटोकॉल के साथ मिलकर कार्य करता है।
Transmission control protocol (TCP)
ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल के बिना इंटरनेट किसी भी तरह का संचार नहीं कर सकता है इसका कार्य 2 डिवाइसों के बीच कनेक्शन को बनाए रखना इसके साथ साथ डाटा को भेजने की अनुमति देता है यह आईपी प्रोटोकोल के साथ कार्य करता है और डाटा को रिसीव या सेंड करने की गारंटी तक प्रदान करता है यदि डाटा रिसीव करते समय किसी भी प्रकार का कोई फाइल खो जाता है तो उसे रीजेनरेट करके फिर से उस फाइल को वापस मंगा लेता है।
Files transfer protocol (FTP)
फाइल ट्रांसफर प्रोटोकोल का इस्तेमाल फाइल को विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर नेटवर्क पर ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है इसमें खासतौर पर टेक्स्ट फाइल मल्टीमीडिया फाइल म्यूजिक वीडियो इत्यादि भेजे जाते हैं इस प्रक्रिया से भेजे गए भाई बड़ी ही तेजी से एक से दूसरे जगह पर पहुंच जाता है।
Internet Message Access Protocol (IMAP)
इस प्रकार के प्रोटोकॉल के द्वारा सभी प्रकार के मेल्स को ई-मेल के सर्वर पर store करता है जिससे किसी भी प्रकार के device पर ईमेल आईडी और पासवर्ड डालकर अपना ईमेल आईडी ओपन करते हैं तो उसमें सभी प्रकार के लिए को एक्सेस करने के लिए ईमेल एक जगह स्टोर रहता है।
Simple mail transfer protocol (SMTP) / POP
सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकोल का इस्तेमाल सभी प्रकार के ईमेल सेंड करने के लिए होता है और पोस्ट ऑफिस प्रोटोकोल का इस्तेमाल किसी भी प्रकार के ईमेल को रिसीव करने के लिए किया जाता है यह दोनों प्रोटोकॉल का एक ही काम होता है।
Hyper text transfer protocol (HTTP)
हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल का मुख्य काम वेब ब्राउज़र और सरवर के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए किया जाता है जहां एचटीटीपी अंडरलाइनिंग प्रोटोकॉल के अंतर्गत आते हैं जिसका इस्तेमाल वर्ल्ड वाइड वेब के द्वारा किया जाता है जो किसी भी प्रकार के मैसेज को फॉर्मेट और ट्रांसमिट करने में सक्षम होता है इसके अलावा एचटीटीपी वर्ल्ड वाइड वेब किस प्रकार से कार्य करता है इसका एक्स एक्स किसके द्वारा किया जाता है हाइपरटक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल कॉल को स्टैटलेस प्रोटोकोल भी कहा जाता है इसमें मुख्य रूप से सभी कमांड स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। चलिए इसे आसान भाषा में समझने का प्रयत्न करते हैं एचटीटीपी www के द्वारा वेब पेज को ट्रांसफर करने के लिए server protocol का इस्तेमाल करते हैं जो किसी भी प्रकार के डाटा को पहचान कर उसे क्लाइंट तक पहुंचता है।
SMT Protocol & PO protocol
यह दोनों प्रोटोकॉल एक साथ कार्य करता है क्योंकि इन दोनों प्रोटोकॉल में से प्रत्येक का कार्य डाटा को सेंड करना और डाटा को रिसीव करने के लिए किया जाता है इसलिए यह दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए होने के साथ-साथ एक साथ कार्य करते हैं।
Ethernet protocol
इसका इस्तेमाल लोकल एरिया नेटवर्क कम्युनिकेट करने के लिए किया जाता है जिसके द्वारा डिजिटल पैकेट के रूप में डाटा को ट्रांसमिट किया जाता है यदि इसका इस्तेमाल करना है तो इंटरनेट नेटवर्क इंटरफेस कार्ड का होना बहुत जरूरी होता है इस कार्ड में माइक्रोचिप फिक्स होता है।
Telent
तेलनेट प्रोटोकोल हाइपरटक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल की तरह ही कार्य करता है और इसी प्रकार के सर्वर पर भी आधारित रहता है इसमें किसी भी कंप्यूटर को कनेक्ट होने के लिए रिमोट एक्सेस होता है।
इन्हे भी पढ़े:- payment gateway क्या है कितने प्रकार का होता है?
Gropher protocol
यह एक प्रकार के एप्लीकेशन लेयर प्रोटोकोल होता है जिसका इस्तेमाल किसी रिमोट साइट के द्वारा डाटा को रिसर्च और प्राप्त करने के लिए किया जाता है इसका इस्तेमाल है कंप्यूटर के साथ ऑनलाइन कनेक्शन स्थापित करने के लिए भी किया जाता है।
Protocol कैसे कार्य करता है?
चलिए अब प्रोटोकोल किस प्रकार कार्य करता है इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं जो नीचे लिखे कदनो में उल्लेखित है।
इंटरनेट पर किसी भी प्रकार की जानकारी हो प्राप्त करने के लिए कोई क्वेरी को गूगल में सर्च करते हैं तो आपको बता दें कि सभी प्रकार की क्वेरी सरवर पर स्टोर रहता है जब भी हम ब्राउज़र पर क्वेरी सर्च करते हैं तो ब्राउज़र सर्वर को रिक्वेस्ट भेजता है इसके बाद सरवर एचटीएमएल फाइल के रुप में हुए ब्राउज़र को क्वेरी भेजता है और यह क्वेरी इतनी जल्दी भेजा जाता है कि हम लोगों को पता ही नहीं चलता है कि इसके बीच में क्या-क्या कार्य हुआ,
हमें तो लगता है कि हम कुछ ही सेकंड में अपना क्वेरी ढूंढ लिए हैं लेकिन इसके बीच क्या क्या कार्य होता है इसके बारे में जानकारी आपको बताते हैं इस बीच सभी प्रकार के कार्य प्रोटोकॉल के द्वारा होता है सबसे पहले हाइपरटक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल कार्य करता है इसके बाद ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल कार्य करता है जब ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल एवं वेब ब्राउजर सर्वर के बीच कनेक्शन स्थापित होता है तब टीसीपी उस फाइल को विभिन्न भागों में बांट देता है जिसे डाटा पैक के नाम से जाना जाता है,
इसके बाद इंटरनेट प्रोटोकॉल काम करता है जब ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल उस ब्राउज़र को एड्रेस बताता है जहां सरवर को फाइल भेजना होता है और जैसे ही इंटरनेट प्रोटोकॉल के द्वारा उसका आईपी एड्रेस पता चलता है तो उस फाइल को डेस्टिनेशन तक पहुंचा दिया जाता है इसके बाद file वापस आकर वास्तविक रूप में ब्राउज़र को प्राप्त हो जाता है।
Internet के लिए protocol की क्या भूमिका हैं?
Internet वास्तविक रूप से कार्य करने के लिए प्रोटोकॉल का होना बहुत जरूरी होता है अन्यथा किसी भी प्रकार का डाटा ट्रांसमिट नहीं किया जा सकता है अन्यथा किसी भी फाइल को इंटरनेट में खोजना हो असंभव है, जब किसी भी प्रकार के दो कंप्यूटर डिवाइस को एक साथ डाटा ट्रांसफर करने के लिए प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है इसके द्वारा ही यह तय करना संभव होता है कि सभी प्रोग्राम फाइल एक ही फॉर्मेट में लिखे गए हैं,
इन्हे भी पढ़े:- NFC क्या है इसे कैसे इस्तेमाल करें
जब हम किसी भी प्रकार की डाटा को एक से दूसरी डिवाइस में भेजते हैं तो उसे सीधे तौर पर सही डेस्टिनेशन तक और सिक्योर प्रदान करने के लिए प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है डाटा भेजने के लिए और रिसीव करने के लिए प्रोटोकॉल के द्वारा बनाए गए नियम पर आधारित होता है इसलिए इसलिए प्रोटोकॉल के बिना इंटरनेट का कोई अस्तित्व ही नहीं है किसी भी प्रकार की जानकारी को खोजने में असमर्थ है डाटा ट्रांसफर करने में असमर्थ है क्योंकि बहुत प्रकार के प्रोटोकोल आजकल हमारे बीच कार्य कर रहा है सभी प्रकार की सिक्योरिटी को मद्देनजर रखते हुए प्रोटोकॉल कार्य करता है।
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है कि मेरे टीम द्वारा दिया गया यह जानकारी प्रोटोकॉल क्या है प्रोटोकॉल कैसे कार्य करता है आपको बहुत पसंद आया इससे संबंधित किसी भी प्रकार से प्रश्न के उत्तर जानने के लिए आप हमें कमेंट कर सकते हैं इसके साथ ही इसे अधिक से अधिक दोस्ती के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर जरूर करें,
हमें आशा है कि यह आपको पूरी तरह से समझ में आ गया होगा किसी भी प्रकार के लिए क्षमा प्रार्थी हूं मुझे कमेंट अवश्य करें मैं उसे सुधारने की कोशिश अवश्य करूंगा।
Post a Comment