हुंडरू का जलप्रपात आदिवासी संस्कृति की विशिष्टता को उभारने वाला यात्रा वृतांत है इस सृष्टि से पास्ट उल्लेखनीय है पहाड़ नदी जंगल की सुंदरता के साथ उस इलाके में आसानी से उपलब्ध अदरक और कोयला खदानों का भी वर्णन किया गया है यानी प्राकृतिक के साथ ही मनुष्य की जिजीविषा और श्रम की महत्ता का विसर्जन है पाठ में बहू की संस्कृति के प्रति विश्वास प्रकट किया गया है झरने की सुंदरता और प्रकृति दृश्यों की विशिष्टता के उद्घाटन से पाठ रोचक बन गया है। हुंडरू का जलप्रपात के बारे में और अधिक से अधिक जानकारी इस पोस्ट में आपको  मिलेगी यह बहुत ही सुंदर priy जगह है जहां हर एक को जाना चाहिए ताकि इसकी सुंदरता को देखा जा सके ,


ईष्या पर निबन्ध


 हुंडरू का जलप्रपात पर कहानी


hundru ka जल prapat


छोटानागपुर वर्ग का एक टुकड़ा है। 

जमीन में हरियाली आकाश में नीलिमा पग पग पर पहाड़ों को देखकर भर्ती भी उबड़ खाबड़ और ऊंची हो गई है तीव्र धारा और  पानी के साथ नदियां बलखाती बह रही हैै

जिन्होंने मैदानों को छाती चिरी और पर्वतों का हमदर्द पड़ा है झाड़ी जुर्म अट पेड़ पौधों और लता जुल्मों के साथ  जंगल अपनी जगह पर आबाद है जिन्होंने जंगली जानवरों को शरण दिया है बेहतरीन सड़क में जिनके बनाने में ठेकेदारों को कम दर्द तू और विभाग को कम भी पड़ा है सांप की तरह भागी जा रही है और उन्हीं के साथ कुछ सवारी पर कुछ पैदल मुसाफिर भी सूत्र गति से चले जा रहे हैं।


छोटा नागपुर में कई दर्शनीय झरने है पर उसमें हुंडरू का झरना निराला है मैं जब भी रांची गया हुंडरू का जलप्रपात देखने जरूर जाता हूं या झरना है जिसने मेरे मन में प्राण पर जादू किया है यह झरना है जिसकी स्मृति खिलती रहे यह झरना है जिसके बारे में लिखते हुए मैं अघात नहीं होता।


रांची से पुरुलिया वाली सड़क पर 14 मिल जाने के बाद एक सड़क मिलती है जिससे हुंडरू पहुंचते हैं पुरुलिया रोड से उसकी दूरी 13 मील है रांची से हुंदरू 27 मील दूरी है महात्मा गांधी ने कहा है कि साध्य की पवित्रता और महत्व तभी है जब उसका साधन भी महान हो ।महान मंजिल पर पहुंचने के लिए मार्ग भी महान होनी चाहिए। हुंदरु  का झरना वैसा उसका मार्ग ।


रांची से चलने वाले मुसाफिर को झरना पहुंचने तक आईसीआईसीआई सुंदर मैदान मिलते हैं कि वहां थोड़ी देर ठहर कर टहलने की इच्छा करती है।ऐसे  जंगल दिखाई पड़ते हैं जिनकी विभीषिका से शायद बाघ को भी डर लगता हो और बीच-बीच में पहाड़ी उस पर झाड़ी अब दर्शनीय सब वर्णय। 

इस प्रकार मार्गदर्शन का आनंद लेते हुए हुंदरू के पास पहुंच गए मैंने मन ही मन इस हरन को प्रणाम किया पहाड़ पर पानी की यह अजीब लीला है जिसका मुकाबला ना रामलीला करें ना रासलीला करें पानी का इस प्रकार उछलना कूदना धूम मचाना और उसकी आवाज जैसे 10 5 हाथी एक बार चिन्ह आ रहे हो जैसे 10-5 ट्रेन के इंजन के साथ आवाज कर रहे हो जैसे एक साथ कई हवाई जहाज चक्कर काट रहे हो या जैसे कई शास्त्र नाग एक साथ फन फैलाकर फुसफुस आ रहे हो पहुंचने के साथ यात्री के कानों में ऐसी आवाज पढ़ रही थी

और जब झरना देखने लगा वातावरण की पवित्रता ऐसी की मालूम होता है मानो हम देवलोक के समीप आ पहुंचे हैं।

है क्या यह युग युग से पानी का आघात है पत्थर की बर्दाश्त है और यह एक प्रकार से यह पत्थर की क्षमता का प्रदर्शन है पर एक पत्थर ऐसा भी है जिसकी छाती को चीर कर पानी निकलता है यह एक प्रकार से यह जल की क्षमता का प्रदर्शन है जिसके सामने पत्थर भी मांस है हां पत्थर मत है करुणा के सामने प्रेम के सामने जिसके अपार बल के स्वरूप पत्थर की छाती से धारा टूटती है पत्थर की आंखों से आंसू निकलते हैं और पत्थर का कलेजा पिघल जाता है।


पहाड़ पर नदी का यह खेल है यह नदी है स्वर्णरेखा जिसके उद्गम स्थान से 50 मील आगे जाकर हुंद्ररू का यह झरना है    स्वर्णरेखा नदी रांची धनबाद सिंहभूम एवं बालासोर जिले से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है




हुंडरू जलप्रपात का विशेष महत्व


हुंडरू जलप्रपात रांची से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो स्वर्णरेखा नदी पर है यह झारखंड का प्रसिद्ध जलप्रपात है वर्षा ऋतु में इसे देखने के लिए पर्यटन की भीड़ हो जाती है हुंदरू जलप्रपात का पानी लगभग 322 फीट की ऊंचाई से गिरता है यह झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात है वर्षा के दिनों में यह जलप्रपात मैं काफी पानी अधिक हो जाता है इस कारण इस का दृश्य देखने योग्य बन जाता है यह जलप्रपात इतनी ऊंचाई के गिरने के कारण पनबिजली का भी उत्पादन करती है यह बिजली का उत्पादन लगभग 50 वर्षों से करता आ रहा है इसमें लगभग एक सौ मेगावाट बिजली उत्पादन करती है इसे सिंदरी प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है  ।

परंतु यह बिजली जल राशि की अधिकता तक ही सीमित रहती है वर्षों भर इससे बिजली उत्पादन होना शायद ही कभी ऐसी स्थिति बनता है।


1 हुंडरू का जलप्रपात किस नदी पर है ।


स्वर्णरेखा नदी


2 हुंडरू का जलप्रपात किस राज्य में है।


झारखंड 


3  हुंडरू जलप्रपात की ऊंचाई कितनी है।


98 मीटर 322 फीट


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4 पुरुलिया रोड से हुंडरू का जलप्रपात की कितनी दूरी है।


रांची से पुरुलिया सड़क पर 14 मिल जाने के बाद हुंडरू पहुंचते हैं फुलवरिया रोड से  हुंडरू की दूरी 13 मील है रांची से हुंदरू लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है।


5 हुंडरू का झरना कैसे बना है।

हुंडरू का झरना का इतिहास बहुत साल पुराना है यह लगभग 322 फीट की ऊंचाई से यहां से पानी गिरता है बरसात के दिनों में और अधिक पानी यहां से गिरता है यही गिरने का दृश्य बड़ा मनमोहक होता है यह बहुत वर्ष पहले बनाया गया है जो काफी दर्शनीय जगह है।


6 जैसे हुंडरू का झरना वैसे उसका मार्ग

जैसे हुंडरू का झरना वैसा उसका मार्ग यह बिल्कुल सही बात है हो सकता है कि नया मार्ग सरकार ने बना दिया हो लेकिन पहले रोटी पत्थर वाला मार्ग था जो अत्यंत ही दयनीय स्थिति में था उसी प्रकार हुंडरू का झरना बिल्कुल पहाड़ी इलाका के साथ गिरा घने जंगलों से चारों तरफ पेड़ ही पेड़ पत्थर ही पत्थर लेकिन देखने में बड़ा ही मनमोहक दृश्य है।







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